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🚩सरस्वती स्तुति।🚩
नमन आपको शारदे माँ हमारा।
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
(1)कला और संगीत वरदायिनी माँ,
शुभे आप विद्यादि की दायिनी माँ।
तुम्हीं लेखनी स्वर तुम्हीं माँ सहारा,
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
(2)जला ज्ञान की ज्योति मेटो अँधेरा,
मिटाओ सकल तम करो माँ सवेरा।
करो वास मन में बनूँ शुभ्र तारा,
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
(3)चलूँ शुभ डगर मैं हमें माँ दिखाओ,
सही राह जो हो हमें माँ सुझाओ।
तुम्हारी कृपा से मिले माँ किनारा,
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
(4)ऋषी और मुनिजन सभी योगियों को,
तुम्हीं तारती माँ सभी प्राणियों को।
दिखा ज्ञान पथ माँ हमें क्यों विसारा,
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
(5)करो शुद्ध वाणी वचन दोष को भी,
सदा शांत मन हो हरो रोष को भी ।
तुम्हीं सृष्टिरूपा तुम्ही ज्ञानधारा,
वरद हस्त नित ही रहे माँ तुम्हारा।।
तृषा द्विवेदी "मेघ"
ग्राम सिधूर नेवाती खेड़ा, पोस्ट हैदराबाद ।
जिला उन्नाव,उत्तर प्रदेश
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