नया सबेरा नेटवर्क
गुलशन की रौनक तुम भी बढ़ाओ,
अपने लहू से वतन को सजाओ।
खुशबू है कितनी मिट्टी में देखो!
मोहब्बत है कितनी मिट्टी में देखो!
कदमों से अपने सितारे उगाओ,
अपने लहू से वतन को सजाओ।
गुलशन की रौनक तुम भी बढ़ाओ।
रोकें दीवारें उसको ढहा दो,
बनता न रस्ता तो उसको बना दो।
दुनिया में फूलों की बारिश कराओ,
अपने लहू से वतन को सजाओ।
गुलशन की रौनक तुम भी बढ़ाओ।
दहशत की साया पड़े न यहाँ पे,
भाषा जहर की न बोये यहाँ पे।
ताकत हो कैसी उसको मिटाओ,
अपने लहू से वतन को सजाओ।
गुलशन की रौनक तुम भी बढ़ाओ।
गोली की भाषा, गोली में देना,
दुश्मन की छाती तू चीर देना।
फतह की निशानी तिरंगा फहराओ,
अपने लहू से वतन को सजाओ।
गुलशन की रौनक तुम भी बढ़ाओ।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3Aeti2T
from NayaSabera.com
0 Comments