नया सबेरा नेटवर्क
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-सत्ता की खोल ओढ़कर एक ने यूपी में दूसरे ने एमपी समेत कई प्रान्तों बनाई है अरबों की सम्पत्ति।
-एक लगातार गिरगिट की तरह बदलता है रंग, उसके परिवार के अन्य सदस्य भी हैं शामिल।
-दूसरा दलबदलकर बन गया है माननीय, पी जाता है कम्बल ओढ़कर घी।
जौनपुर। यह जनपद विज्ञान, राजनेता, प्रशासनिक सेवा, इमरती, मूली और इत्र के लिए जहां मशहूर रहा है वहीं मुगलकाल में शिक्षा की अंतरराष्ट्रीय राजधानी भी रहा है। यह जनपद अपराध की दुनिया में भी पीछे नहीं रहा। कालांतर में मक्का के साथ यहां मक्कारों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। बीते दिवस जिस माफ़िया मुख्तार का गुर्गा चित्रकूट की जेल में कथित गैंगवार में मारा गया उसी माफ़िया के आर्थिक साम्राज्य का संरक्षण यहां के दो सफेदपोश कर रहे हैं। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले एक गुर्गे के कई परिजन गुनाह की दौलत बढ़ाने में लगे हैं। पिछले साल जेल में ही गैंगवार में मारे गए माफ़िया मुन्ना बजरंगी के अरबों रुपये यही कुनबा डकार लिया था, लेकिन माफ़िया मुख्तार अंसारी के हस्तक्षेप के बाद बजरंगी की पत्नी को कुछ रकम लौटानी पड़ी। इस कुनबे में मुख्तार का आनाजाना जगजाहिर है। गुनाह की रकम से ही यह प्रदेश के कई हिस्सों में सीरियल की तरह शिक्षण संस्थान व अन्य उद्योग संचालित कर रहा है। कारोबार नियंत्रण के लिए नोएडा के निकट सेंट्रल आफिस का किराया लाखों में देता है।
दूसरा वह माननीय है जो कम्बल ओढ़कर घी पीता है। इसने भी कई शिक्षण संस्थान खोल रखे हैं। एमपी समेत कई राज्यों में इसके शराब के धंधे हैं। काले धन से इसने पहले काला सोना उगाया यानी कोयले का कारोबार किया। माननीय बनने के बाद पेट्रोलपंप भी खोल लिए। मुख्तार अंसारी के गुर्गे हैं तो कई और लेकिन वे नियंत्रित होते हैं इन दोनों से। सत्ता की खोल ओढ़ने के चलते ही पुलिस इनपर हाथ नहीं डालती है। यही कारण है कि इनके जैसे लोग पूर्वांचल में माफ़िया की बेनामी सम्पत्ति के बेताज़ बादशाह बनते जा रहे हैं।
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