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एक करोड़ की लागत से बने इस शवदाहगृह का लोकार्पण पिछले साल मार्च में ही होना था
इस साल कोरोनाकाल में लगी लाशों की कतार में लकड़ी महंगी और स्थान पड़े कम
जौनपुर। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न में तो दो ही मुख्य किरदार थे लेकिन कोरोना काल की दूसरी लहर में हर कदम पर पैसा कमाने वाले किरदारों ने इंसानियत को तिलांजलि देकर तिज़ारत और जमाखोरी के साथ कफ़न खसोट वाली स्थिति पैदा कर दी है। एक तरफ अस्पताल से लेकर श्मशान तक कोरोना से मची तबाही हाहाकार है वहीं जिले के गोमती तट पर एक करोड़ की लागत से बने शवदाहगृह को न जानें किसका इंतज़ार है। यह ऐसा दौर चल पड़ा है कि 400 रुपये मन यानी 40 किलो की लकड़ी 1200 में भी नहीं मिल पा रही है। दाह संस्कार के लिए लोगों को जगह भी नहीं मिल पा रही। ऐसे में यह नव निर्मित शवदाहगृह इसलिए भी कारगर होता क्योंकि इसमें महज 80 किलो लकड़ी से दो घण्टे में एक डेडबॉडी राख में तब्दील हो जाती है। ऐसा दावा निर्माणाधीन संस्था का है। इसे बनवाया जिले के राजमंत्री गिरीश यादव ने।
वर्तमान में इस शवदाहगृह की उपयोगिता इसलिए भी अति आवश्यक है ताकि लोगों को कम लकड़ी, कम समय और प्रदूषण से बचाव भी होता। इस शवदाहगृह में धुआं निकलने को चिमनी लगी है। यदि कमीशनखोरी में निर्माण हुआ होगा तो लोकार्पण से पहले ही इसकी कहानी भी नहीं रहेगी लेकिन फीता काटने और प्रचार करने को लालायित मंत्री किसी वीआईपी का इंतज़ार कर रहे हैं। जबकि इसे आम जनता के लिए पिछले साल मार्च में ही सौपना था। जिले में आमजन के भरोसा मंत्री पर नहीं रहा। क्यों सीवेज प्लांट में कमीशनखोरी का शोर गड्ढों और सड़कों की धूल के गुबार में सबके जेहन में परत की तरह जम गया है। इससे पूर्व जब वह किसी अन्य विभाग के मंत्री रहे तो केवल खुद, घर और परिवार रिश्तेदारों तक को ठेके दिलाकर मालामाल करने में मशगूल रहे। अब मौका था इंसानियत में आगे आने का तो किसी का इंतज़ार हो रहा है।
ऑक्सीजन प्लांट, आर टी पी सी आर के लोकार्पण में भी ऐसे ही देरी की गई। इसके चलते जिले के मरीजों, तीमारदारों को वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ दिल्ली तक भागना पड़ा। अब रामघाट में दाहसंस्कार में कतार लगी, लकड़ी कम और महंगी तीनगुना ज्यादा होने से जिले के लोग हलकान हैं। तमाम लोग तो गोमती किनारे अपने घरों से लकड़ी लेकर क्रिया कर्म में लगे हैं। यहॉ बना शवदाहगृह लोकार्पण का इंतज़ार कर रहा है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आमिक कहा कि इस शवदाह गृह को तत्काल चालू करवा देना चाहिए। जिससे की अंतिम संस्कार करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना कम करना पड़ेगा। आज हालात इतने खराब हो गये है कि गोमती नदी हो या फिर गंगा नदी शवो को बहते हुए देखा जा सकता है।खास कर गोमती नदी में रोज़ाना नदी के प्रवाह में कई शव दिखाई पड़ते है ।इससे ये बात साबित होती है कि कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों को शवों को नदी में बहाना पड़ रहा है। ऐसे में ये शवदाह गृह चालू हो जाता तो लो यहां के लोगों को यह दिन देखना नहीं पड़ता।
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