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जिंदगी के सफर में
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*जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं
लूट और फूट की आंधियां चल रही
रोशनी के लिए पर शमां जल रही है।
कारवां में लुटेरों के मेले बहुत हैं।
जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं।
आओ साथी!मगर साथ मिलके चलें
हर अंधेरे को रौशन करें संग जलें।
आओ साथी की जीवन है एक यात्रा
जिसमें दुश्वारियों के ये रेले बहुत हैं।
जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं।
उस विधाता का सुंदर ये संसार है
ये संसार ही अपना घर बार है।
अपने सत्कर्मों से इसको रौशन करें
ग़म नहीं साथ सबका मिले ना मिले।
हम जलें दीप सा,हम अकेले बहुत हैं
जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं।
जीवन एक यात्रा हम मुसाफिर बडे़
नित नई ख्वाहिशों के शिखर पर चढ़ें।
दुःख हो सुख हो सदा हम हंसकर बढ़ें
पर जिधर भी बढ़ें रोशनी ले बढ़ें।
ग़म नहीं ग़र अंधेरों के मेले बहुत हैं
जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं।
हम जिधर भी बढ़ें रोशनी ले बढ़ें
ग़म नहीं ग़र अंधेरों के मेले बहुत हैं।
जिंदगी के सफ़र में झमेले बहुत हैं।
स्वरचित, मौलिक
डॉ मधु पाठक
राजा श्रीकृष्ण दत्त
स्नातकोत्तर महाविद्यालय
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
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