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वैश्विक रूप से सभी देश महामारी की इस विपत्ति की घड़ी में एक दूसरे का साथ देकर मानवता का परिचय दें - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से कोरोना महामारी ने पूरे विश्व पर ऐसा घातक प्रहार किया है कि पूर्ण विकसित और हर सुख सुविधा, तकनीकी से परिपूर्ण देश भी इस महामारी के आगे लाचार तथा अपने को बौना महसूस कर रहे हैं। हालांकि भारत सहित कुछ देशों ने कोरोना वायरस से लड़ने वैक्सीन का इजाद कर लिया है, परंतु फिर भी वह पूर्ण रुप से कारगर सिद्ध होने की गारंटी नहीं दे रहे हैं परंतु दावा किया जा रहा है कि फिर भी सक्षम है और तेजी से टीकाकरण अभियान वैश्विक रूप से जारी है।....बात अगर हम भारत की करें तो यहां भी कोवैक्सीन और कोविशिल्ड वैक्सीन का निर्माण कर तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है। परंतु उससे अधिक तेजी से यहां महामारी का संक्रमण फैल रहा है।...बात अगर टीकाकरण अभियान की करें तो जिस तेजी के साथ टीकाकरण किया जा रहा है, उसी तेजी से टीका उद्योग द्वारा टिकों का उत्पादन भी जरूरी है। हालांकि कुछ दिनों पूर्व टीको की कमी की बात कुछ राज्यों द्वारा उठाई गई थी और केंद्र द्वारा इसे नकारा गया था। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री महोदय द्वारा एक बयान द्वारा कहा गया है कि वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ाया जाएगा, ऐसी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा दी गई मीडिया अनुसार फिलहाल एक करोड़ डोज प्रतिमाह की उत्पादन क्षमता है इसे मई-जून तक दोगुना तथा जून-जुलाई तक इसका उत्पादन 6-7 करोड़ डोज और सितंबर तक उत्पादन क्षमता को सरकार 10 करोड डोज प्रतिमाह सरकार करना चाहती है। इसके लिए सरकार कंपनी कोवैक्सिन याने भारत बायोटेक कंपनी को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी और सरकार ने तीन और सरकारी उपक्रमों को भी सहायता देने का फैसला कियाहै और उन कंपनियों को अलग-अलग रणनीतिक रूप से किसी को एक-डेढ़ माह से छह माह इत्यादि अवधि में उत्पादन शुरू करने को कहा गया है। उधर स्पूतनिक-वी को सरकार पहले ही मंजूरी दे चुकी है जो सरकार द्वारा उठाया गयाएक तारीफे ए-काबिल कदम है, परंतु उसके लिए कच्चे माल की आवश्यकता होगी। मीडिया के अनुसार इसकी भारत में आपूर्ति आज अमेरिका और जर्मनी से कच्चा माल आकर होती है और उनके यहां अभी फिलहाल कच्चे माल की मांग अधिक होने के कारण कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। अब सवाल उठता है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति कहां से होगी। उधर टीका उद्योग में देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी पुणे स्थित सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ द्वारा दिनांक 16 अप्रैल 2021 को उनके ट्विटर में ट्वीट अपराह 2.16 बजे के अनुसार इसी कच्चे माल के निर्यात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के संबंध में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के टि्वटर हैंडल को टैग करते हुए ट्वीट किया कि अमेरिका के माननीय राष्ट्रपति, अगर हम सचमुच वायरस को हराने में एकजुट हैं तो अमेरिका के बाहर के वैक्सीन उद्योग के आधार पर मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि अमेरिका के बाहर कच्चे माल के निर्यात के ऊपर लगे प्रतिबंध को हटा दें ताकि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा सके आपके प्रशासन के पास विस्तृत जानकारी है। इन शब्दों को लिखकर हाथ जोड़ने के सिंबाल रखे हैं ।इसी परिपेक्ष में मेरा यह मानना है कि कोरोना वायरस को अगर जड़ से पूरे विश्व से मिटाना है या हराना है तो वैश्विक रूप से सभी देशों को एक होना पड़ेगा और जिस देश के पास कोरोना वैक्सीन सहित उसको बनाने के लिए कच्चा माल अपनी जरूरतें पूरी करने के अतिरिक्त बचता है, तो उसकी आपूर्ति अन्य जरूरतमंद देशों को कर उनकी एक तरह से सहायता करें। ऐसी रणनीति सभी देश मिलकर आपसी सहयोग या सामंजस्य स्थापित कर रणनीति बनाएं ताकि जिन देशों में कच्चा माल का निर्माण नहीं होता या वहां वैक्सीन भी निर्माण नहीं होती उन देशों के नागरिकों को उसकी आपूर्ति कर नागरिकों की जान बचाई जा सके। जैसा कि आज ग्लोबल एलाइंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन याने गावी (ईजीएबी) नामक संस्था वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक-निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी अलायंस है, जो विकासशील और गरीब देशों के लिए टीका प्रदान करने का काम करती है जिसकी स्थापना सन् 2000 से लेकर आज तक अनेक बीमारियों के करोड़ों लोगों को टीके लगवा चुकी है और आज भी भिन्न देशों के सहयोग से गरीब देशों में टीकों की आपूर्ति कर रही है जिसमें भारत भी सहभागी हुआ है। इसी तर्ज पर वर्तमान महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए भी हम सब देशों को वैश्विक स्तर पर एक होना होगा और अपनी जरूरत से अधिक तैयार वैक्सीन या कच्चे माल की आपूर्ति अन्य जरूरतमंद देशों को अनिवार्य रूप से करें ऐसी रणनीति वैश्विक रूप से मानवता के नाते इस वैश्विक विपत्ति की घड़ी में एक दूसरे के देश के नागरिकों की जान बचाने के लिए अत्यंत जरूरी है। इस बात का मंथन खासकर पूर्ण विकसित देशों ने जरूर करना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है कि वर्तमान तकनीकी युग में इस अत्यंत घातक महामारी से जूझने में जहां पूर्ण विकसित देशों को इतनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है वह भी वैक्सीन उपलब्ध होने के बावजूद तो फिर विकासशील और गरीब देशों की क्या हालत हो सकती है यह मानवता के नाते सोचनीय प्रश्न है अतः हम यही चाहेंगे कि कोरोना वायरस को हराने पूरे विश्व को एकजुट होना होगा तथा अतिरिक्त वैक्सीन और कच्चे माल की आपूर्ति अन्य जरूरतमंद देशों को करने की वैश्विक स्तर पर रणनीति बनाई जाए।
-संकलनकर्ता -लेखक कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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