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मेरी जिंदगी एक सामान है ,जिसे हम बैग मे समा सकते हैं ,
या हम खुद उसमें समा सकते हैं.
इस सामान को क्या नाम दूं?
मुझे खुद नहीं पता,
क्यों कि कभी मेरे लिए ये एक ट्रेन का डिब्बा है तो ,
कभी मेरा फोन ये दोनों ही बहुत जरूरी है
क्योंकि एक जो है वो मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचाता है,
तो एक मंजिल पर पहुंच के क्या मिलेगा ये बताता है .
जिंदगी एक सफर है जो बहुत जगह घुमने के बाद खत्म हो जाता है
और एक ना एक जगह छुट जाती है
मुझे मेरे सफर को खत्म होते हुए नहीं देखना है,
जो देखना है वो मेरा रास्ता और मेरी मंजिल है.
मेरा आज ही मेरी मंजिल है,
मेरा आज ही मेरा सफ़र है.
और मेरा आज ही मेरा मै हू.
क्यों कि कल का क्या पता की कल क्या ले के आए,
शायद कुछ बुरा हो जाए,
शायद कुछ अच्छा हो जाए.
शायद कल मैं ही दुनिया से चली जाऊ
या शायद मैं कल एक नयी दुनिया से मिल जाऊ
मुझे प्यार है अपने आप से
अपने ख्वाब से अपने ख्याली दिमाग से
मेरा सफ़र है मेरा रास्ता, मंजिल है मेरा सपना इसको अकेले ही मुझे है पूरा करना.
लेखिका- संजना सिंह
देहरादून उत्तराखंड
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