नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था का केंद्र शीतला चौकिया धाम में श्री राम कथा प्रवचन के दूसरे दिन कथावाचक डॉ. अखिलेश पाठक ने कहा कि बिनु सत्संग विवेक न होई राम कथा बिनु सुलभ न कोई। आज के कलिकाल में लोगों को सत्संग की आवश्यकता है। बिना सत्संग प्रवचन से ज्ञान बुद्धि का विवेक नहीं होगा। संतों के दर्शन बिना परमात्मा की कृपा से संभव नहीं है। संत गुरु की कृपा से ही परब्रह्म मिलते है। सदगुरु संत के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है।
शास्त्र के अनुसार अपना नाम गुरु का नाम बड़े पुत्र का नाम पति को पत्नी का नाम, पत्नी को पति का नाम नहीं लेना चाहिए अगर नाम लेना है तो किसी अमुख नाम रख कर पुकारना चाहिए इन लोगों का नाम से पुकारने की शास्त्र अनुमति नहीं देता है। कहीं जरूरत पड़े तभी लिखना व बताना चाहिए। पापी मनुष्य का नाम नहीं लेना चाहिए पाप लगता है। वाराणसी से पधारे कथा वाचक डॉ. मदन मोहन मिश्र ने रामचरित्र मानस में से उल्लेख करते हुए बताते है जनकपुर में पधारे श्री राम जी का पुष्प वाटिका के बारे में बताते हैं कि श्रीराम चन्द्र जी पुष्प वाटिका के चारों तरफ़ देखते हैं। उस कलिकाल में पुष्प वाटिका में चार महा शक्तियों का उद्गम हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम स्वयं उन चारों शक्तियों का प्रणाम करते हैं वह चार शक्तियां दिव्य मान है लक्ष्मण जी स्वयं शेषावतार हैं। सीता जी शक्ति स्वरूपा महा लक्ष्मी जी है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम स्वयं नारायण परब्रह्म है वह वहां स्थित मंदिर में स्वयं शक्ति स्वरूपा मां गिरजा विराजमान है चारों शक्तियों का एक ही स्थान पर उदगम हो ना बहुत ही सौभाग्य की बात है इसलिए विवाह के पहले ही उन चारों शक्तियों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम इन सभी शक्तियों को प्रणाम करते हुए कहा कि आप लोग हमारे विवाह में कोई लीला ना करे। विवाह को संपन्न कराने का आग्रह किया।
प्रतिदिन दिनचर्या की पूजा पद्धति पर प्रकाश डालते हुए मिश्रा जी ने बताया कि परमात्मा का पूजन प्रसन्न मन से भाव से पूजन करना चाहिए प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठना व अपने हस्तरेखा में विराजमान शक्तियों महालक्ष्मी, मां सरस्वती व नारायण का दर्शन करना। सुबह-सुबह राम नाम जप करना नित्य क्रिया स्नान आदि करने के बाद घर के मन्दिर में विराजमान ठाकुर जी को प्रसन्न मन से प्रतिदिन स्नान कराकर दिव्यतम वस्त्र दिव्य भोग प्रसाद का अर्पण करना चाहिए भोग प्रसाद में तुलसी दल जरूर रखें आरती के समय परिवार के सभी लोग एक साथ आरती करें। घर में भोजन प्रसाद बनने के बाद ठाकुर जी को भोग लगाएं गाय को भोग प्रसाद देने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए ऐसे परिवार में परमात्मा की कृपा दृष्टि बनी रहेगी। सुख, शांति, धन, वैभव, यश की प्राप्ति होगी। परमात्मा की कृपा परिवार जनों के जीवन में ऐसे ही बनी रहेगी।
इस मौके पर उपस्थित रामआसरे साहू, त्रिलोकी नाथ श्रीमाली, हनुमान त्रिपाठी, सुरेंद्र त्रिपाठी, मदन गुप्ता, प्रविंद्र तिवारी, शिव आसरे गिरी, सुरेंद्र गिरी समेत अनेक लोग मौजूद रहे। कथा प्रतिदिन 7 बजे शाम से रात्रि 10 बजे तक हो रही हैं।
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