- अगर तदर्थ शिक्षकों की सेवा नहीं बचाने का प्रयास किया गया तो संगठन सड़क से लेकर सदन तक करेगा आंदोलन
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। प्रदेश सरकार अपने अधिकारियों की मिली भगत से न तो तदर्थ शिक्षकों को कोई राहत देना चाहती है और न ही माध्यमिक शिक्षकों की नई नियुक्तियां परवान चढ़ने देना चाहती है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को समाप्त करने की योजना है।
यह बातें कहते हुए माध्यमिक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी रमेश सिंह ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि चूंकि इन सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में गरीब, किसान और मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं इसलिए इन बच्चों को पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़े न हो सकें, सरकार इन विद्यालयों में न तो कोई संसाधन देती है और न हो शिक्षकों की भर्ती कर रही है जबकि 50 फीसद से भी अधिक पद रिक्त हैं।
रमेश सिंह ने आगे यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला दिए जाने के बावजूद सरकार द्वारा तदर्थ शिक्षकों को न तो वेतन भुगतान किया गया और न ही उनकी आजीविका बचाने का कोई ठोस प्रयास ही किया गया।
इस सम्बन्ध में उ0प्रदेश मा0शिक्षक संघ द्वारा न केवल कड़ा विरोध ही किया गया था बल्कि मा0शि0संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी रमेश सिंह ने उप-मुख्यमंत्री / शिक्षामंत्री को पत्र के माध्यम से भी संगठन के विरोध से अवगत भी कराया था। परिणामतः मा0शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा अपने विज्ञापन को निरस्त कर दिया गया है। रमेश सिंह ने सरकार से मांग की है कि हठधर्मिता छोड़कर न केवल तदर्थ शिक्षकों की आजीविका बचाते हुए अविलम्ब माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयन की प्रक्रिया पूरी करे और हर हाल में तदर्थ शिक्षकों की सेवा बचाने का हर सम्भव प्रयास करें अन्यथा संगठन को सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करने के लिए विवश होगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विभाग एवं सरकार का होगा।
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