- 98 साल के इतिहास में पहली बार नहीं निकला जुलूस
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। मछलीशहर पड़ाव स्थित शाही ईदगाह के प्रांगण में जश्ने ईद उल मिलाद उल नबी का कार्यक्रम किया गया जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। आगाज तिलावते कलाम ए पाक से शेर मस्जिद के इमाम कारी जिया साहब ने किया। इस मौके पर नात पढ़ते हुए कारी जिया ने कहा कि सुर्खरू होता है वही जो शाहे बे ईमान होता है। वही अजीम जौनपुरी ने भी अपनी नात से महफिल में समा बांधा। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वसल्लम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मो. शोएब खां ने बताया कि 532 ईस्वीं में इस्लामी तारीख के 12 रबी उल अव्वल को अबू मत्तालीब के यहां अरब के मक्का शहर मे एक पोता पैदा हुआ जिसने पूरे एशिया और यूरोप में ही नहीं पूरी दुनिया में इल्म का प्रकाश फैलाया। बाद में उनको खातेमूल नबी का लक्ब मिला।
उन्होंने बताया कि अब कयामत तक दुनिया में कोई भी नबी या पैगंबर या अवतार नहीं आएगा। उन्होंने जो धर्म की शिक्षा, इंसानियत की शिक्षा दुनिया को दी है उसी पर अमल करके दुनिया में अमन कायम किया जा सकता है। आज पूरी दुनिया में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम का योमें पैदाइश यानी जन्म दिवस मनाया जा रहा है। संचालन सीरत कमेटी के उपाध्यक्ष नेयाज़ ताहरि शेखू ने किया। कोविड-19 को देखते हुए इस साल जुलूस नहीं निकला और ना शहर में कोई भी सजावट नहीं हुई। मरकजी सीरत कमेटी व शाही ईद गाह कमेटी ने शासन प्रशासन के द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार कार्यक्रम को स्थगित कर अटाला मस्जिद वह ईदगाह में कौमी यकजहती का प्रोग्राम किया गया। इस मौके पर जिला अस्पताल में एक ब्लड डोनेट कैंप लगाया गया जिस की सदारत हफीज़ शाह ने की।
जुम्मा की नमाज के बाद शाही ईदगाह में कौमी यकजहती का प्रोग्राम किया गया जिसमें शहर के तमाम मौतबर व सम्मानित लोगों ने भाग लिया। आखिर में कोविड-19 से निजात के लिए व दुनिया में अमन व आमान के लिए दुआएं मांगी गई। इस मौके पर मिर्जा दावर बैग, रियाजुक हक, हाजी इमरान, जफर मसूद, असलम शेर खान, इरशाद मंसूरी, तोज मोहम्मद, आमिर कुरैशी, रशीद अहमद, सद्दाम हुसैन, सिराज सिद्दीकी, अरशद ए आलम, शम्स आलम, सलीम खान, अमिक जमाई, अरशद खां, शकील अहमद आदि लोग मौजूद रहे।
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