समझदारी और संकल्प के साथ!
जहां वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर लोग सिर्फ बातें करते हैं, वहीं कमला अंकिबाई घमंडीराम गोवानी ट्रस्ट ने बीएमसी मुंबई के साथ मिलकर सीधे मैदान में उतरकर दिखा दिया कि असली बदलाव जमीनी स्तर पर होता है! ट्रस्टी निदर्शना गोवानी की अगुवाई में प्रभादेवी स्टेशन के आसपास पूरे जोर-शोर से मनाया गया पर्यावरण दिवस।
सुबह-सुबह ट्रस्ट के वालंटियर्स और बीएमसी टीम ने मिलकर स्टेशन से मेन सिग्नल तक की दोनों सड़कों को चकाचक साफ कर दिया ना कोई झाड़-झंखाड़ बचा, ना कोई प्लास्टिक का टुकड़ा!
ट्रस्ट ने रोज़ाना आने-जाने वाले यात्रियों को इको-फ्रेंडली जूट बैग्स बांटे और कहा "प्लास्टिक को बोलो टाटा, धरती को कहो धन्यवाद!" साथ ही लोगों को पैम्पलेट्स और सीधी बातचीत के ज़रिए समझाया गया कि प्लास्टिक का भूत अब और नहीं झेल सकते अब वक़्त है हर रोज़ छोटे-छोटे ग्रीन स्टेप्स उठाने का।
इवेंट में बच्चों ने भी कमाल कर दिया! छोटे-छोटे हाथों ने बड़े-बड़े संदेश लिखे: "नेचर से ही होती है हमारी ग्रोथ, वही सिखाता है ज़िंदगी की ट्रू ग्रोथ।" "परिवर्तन से पहले खुद बदलो, नहीं तो नेचर खुद बदल जाएगा तुम्हें।" सबसे बेहतरीन स्लोगन्स को ट्रस्ट ने अवॉर्ड देकर बच्चों का हौसला बढ़ाया।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई! ट्रस्ट ने आस-पास के इलाकों में प्यारे-प्यारे बर्ड फीडिंग स्टेशन भी लगवाए ताकि पंछी भी कहें, "थैंक यू, ह्यूमन्स!" साफ सफाई के साथ साथ, जानवरों के लिए भी थोड़ा सा प्यार दिखाया गया।
इस मौके पर निदर्शना गोवानी ने कहा, "वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे कोई बोझ नहीं, ये तो हमारा सौभाग्य है। हर सांस जो हम लेते हैं, वो नेचर की देन है।अब हमारी बारी है कुछ लौटाने की।"
यह पहल ट्रस्ट की सोच को बखूबी दर्शाती है। "खुद उठो, औरों को भी उठाओ" और इस बार, धरती मां को भी।
जहां वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर लोग सिर्फ बातें करते हैं, वहीं कमला अंकिबाई घमंडीराम गोवानी ट्रस्ट ने बीएमसी मुंबई के साथ मिलकर सीधे मैदान में उतरकर दिखा दिया कि असली बदलाव जमीनी स्तर पर होता है! ट्रस्टी निदर्शना गोवानी की अगुवाई में प्रभादेवी स्टेशन के आसपास पूरे जोर-शोर से मनाया गया पर्यावरण दिवस।
सुबह-सुबह ट्रस्ट के वालंटियर्स और बीएमसी टीम ने मिलकर स्टेशन से मेन सिग्नल तक की दोनों सड़कों को चकाचक साफ कर दिया ना कोई झाड़-झंखाड़ बचा, ना कोई प्लास्टिक का टुकड़ा!
ट्रस्ट ने रोज़ाना आने-जाने वाले यात्रियों को इको-फ्रेंडली जूट बैग्स बांटे और कहा "प्लास्टिक को बोलो टाटा, धरती को कहो धन्यवाद!" साथ ही लोगों को पैम्पलेट्स और सीधी बातचीत के ज़रिए समझाया गया कि प्लास्टिक का भूत अब और नहीं झेल सकते अब वक़्त है हर रोज़ छोटे-छोटे ग्रीन स्टेप्स उठाने का।
इवेंट में बच्चों ने भी कमाल कर दिया! छोटे-छोटे हाथों ने बड़े-बड़े संदेश लिखे: "नेचर से ही होती है हमारी ग्रोथ, वही सिखाता है ज़िंदगी की ट्रू ग्रोथ।" "परिवर्तन से पहले खुद बदलो, नहीं तो नेचर खुद बदल जाएगा तुम्हें।" सबसे बेहतरीन स्लोगन्स को ट्रस्ट ने अवॉर्ड देकर बच्चों का हौसला बढ़ाया।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई! ट्रस्ट ने आस-पास के इलाकों में प्यारे-प्यारे बर्ड फीडिंग स्टेशन भी लगवाए ताकि पंछी भी कहें, "थैंक यू, ह्यूमन्स!" साफ सफाई के साथ साथ, जानवरों के लिए भी थोड़ा सा प्यार दिखाया गया।
इस मौके पर निदर्शना गोवानी ने कहा, "वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे कोई बोझ नहीं, ये तो हमारा सौभाग्य है। हर सांस जो हम लेते हैं, वो नेचर की देन है।अब हमारी बारी है कुछ लौटाने की।"
यह पहल ट्रस्ट की सोच को बखूबी दर्शाती है। "खुद उठो, औरों को भी उठाओ" और इस बार, धरती मां को भी।
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