साइबर जागरुकता कार्यक्रम : कैडेटों को किया गया जागरूकता
जौनपुर। पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ के द्वारा साइबर सुरक्षा व जागरुकता कार्यक्रम में चलाये जा रहे अभियान के तहत अपर पुलिस अधीक्षक नगर/ग्रामीण व क्षेत्राधिकारी सदर के पर्यवेक्षण एवं दिशा निर्देशन में प्रभारी साइबर क्राइम थाना के नेतृत्व में गुरुवार को मड़ियाहूं महाविद्यालय मड़ियाहूं में 98 बटालियन के लगभग 450 एनसीसी बालक, बालिका कैडेटों को साइबर क्राइम व उनसे बचाव सम्बन्धित साइबर जागरुकता कार्यक्रम किया गया।
एनसीसी कैडेट को साइबर अपराध, उसके प्रकार तथा उससे बचाव सम्बन्धित जानकारी दिया गया तथा साथ ही साथ महिला सम्बन्धित साइबर अपराध की भी जानकारी से अवगत कराया गया। सोशल मीडिया से सम्बन्धित साइबर फ्राड के बारे में अवगत कराते हुये सभी को साइबर अपराध की जानकारी दी गयी और बताया कि इंटरनेट के उपयोग की सही जानकारी होने पर साइबर अपराध से बचा जा सकता है। इसी क्रम में एटीएम में ट्रांजेक्सन करते समय अन्य कोई व्यक्ति उपस्थित न रहे, बैंक के नाम पर टेलीफोन कॉल पर एटीएम, बैंक अकाउंट्स संबंधी कोई जानकारी जैसे ओटीपी, सीवीवीब नम्बर आदि कभी भी किसी से साझा न करे। बीमा कम्पनी, नौकरी.कॉम के नाम से कॉल किये जाने पर बिना सत्यापन किये कोई जानकारी न दें। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सअप, एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक व इंस्टाग्राम पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक न करें क्योंकि कोई भी व्यक्ति आसानी से आपकी जानकारी का इस्तेमाल कर दुरूपयोग कर सकता है। इस प्रकार के एप्स डाउनलोड किये जाते समय प्राईवेसी सम्बन्धी आप्शन का भली-भांति अवलोकन करने के बाद ही सहमती/असहमती देते हुए प्रक्रिया पूर्ण करें। फर्जी लॉटरी लगने का कॉल करने वालों को कभी अपनी बैंक की डिटेल शेयर न करें।
डिजिटल अरेस्ट से बचाव हेतु बताया गया कि किसी भी अनजान कॉल, मैसेज पर प्रतिक्रिया न दें, टावर लगाने के नाम पर भी लोगों से ठगी की जाती है, इससे बचने हेतु किसी अज्ञात बैंक खाता में पैसा जमा न करें। कोई कम्पनी कम लागत में अधिक पैसे कमाने का लालच देती है तो सावधान रहिये ऐसी कंपनी फर्जी होती हैं जो आपका पैसा लेकर कंपनी को बंद कर भाग जाते हैं। ठगों द्वारा फर्जी ऑफिस खोलकर, कम ब्याज दर पर अधिक लोन, बिना किसी कागज के आसानी से लोन दिलवाने हेतु फर्जी विज्ञापन प्रसारित किया जाता है और प्रोसेसिंग फीस के रुप में एकाउंट में रुपये जमा कराके फरार हो जाते है। मोबाइल व सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के सुरक्षित प्रयोग के बारे में भी बताया गया। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर इंटरनेट प्रयोग किये जाने पर साइबर अपराध के शिकार होने से बचा जा सकता है। जागरूक बनें और अपने धन की स्वयं सुरक्षा करने के सिद्वान्त पर काम करें। अन्त में महोदय द्वारा सभी छात्र-छात्राओं व स्कूल के स्टाफ को साइबर वॉलंटियर बनाया गया तथा अपेक्षा की कि वर्कशॉप में दी गई जानकारी को अपने परिवार, आस-पड़ोस में अधिक से अधिक लोगों को बतायें जिससे की कोई भी व्यक्ति जानकारी के आभाव में साइबर अपराधियों का शिकार न हो। इसी दौरान वर्कशाप में उपस्थित कालेज के छात्र व स्टाफ को पम्पलेट वितरित किये गये तथा स्कूल के अन्य छात्रों को जागरुक करने हेतु पोस्टर एवं बुकलेट उपलब्ध कराई गई। कार्यक्रम में साइबर थाना उ.नि. दिनेश कुमार, मु.आ. मुकेश कुमार, आ. प्रफूल्ल कुमार यादव, सत्यम गुप्ता, म.आ. आकांक्षा सिंह आदि मौजूद रहे।
साइबर सुरक्षा टिप्स-
जौनपुर। पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ के द्वारा साइबर सुरक्षा व जागरुकता कार्यक्रम में चलाये जा रहे अभियान के तहत अपर पुलिस अधीक्षक नगर/ग्रामीण व क्षेत्राधिकारी सदर के पर्यवेक्षण एवं दिशा निर्देशन में प्रभारी साइबर क्राइम थाना के नेतृत्व में गुरुवार को मड़ियाहूं महाविद्यालय मड़ियाहूं में 98 बटालियन के लगभग 450 एनसीसी बालक, बालिका कैडेटों को साइबर क्राइम व उनसे बचाव सम्बन्धित साइबर जागरुकता कार्यक्रम किया गया।
एनसीसी कैडेट को साइबर अपराध, उसके प्रकार तथा उससे बचाव सम्बन्धित जानकारी दिया गया तथा साथ ही साथ महिला सम्बन्धित साइबर अपराध की भी जानकारी से अवगत कराया गया। सोशल मीडिया से सम्बन्धित साइबर फ्राड के बारे में अवगत कराते हुये सभी को साइबर अपराध की जानकारी दी गयी और बताया कि इंटरनेट के उपयोग की सही जानकारी होने पर साइबर अपराध से बचा जा सकता है। इसी क्रम में एटीएम में ट्रांजेक्सन करते समय अन्य कोई व्यक्ति उपस्थित न रहे, बैंक के नाम पर टेलीफोन कॉल पर एटीएम, बैंक अकाउंट्स संबंधी कोई जानकारी जैसे ओटीपी, सीवीवीब नम्बर आदि कभी भी किसी से साझा न करे। बीमा कम्पनी, नौकरी.कॉम के नाम से कॉल किये जाने पर बिना सत्यापन किये कोई जानकारी न दें। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सअप, एक्स (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक व इंस्टाग्राम पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक न करें क्योंकि कोई भी व्यक्ति आसानी से आपकी जानकारी का इस्तेमाल कर दुरूपयोग कर सकता है। इस प्रकार के एप्स डाउनलोड किये जाते समय प्राईवेसी सम्बन्धी आप्शन का भली-भांति अवलोकन करने के बाद ही सहमती/असहमती देते हुए प्रक्रिया पूर्ण करें। फर्जी लॉटरी लगने का कॉल करने वालों को कभी अपनी बैंक की डिटेल शेयर न करें।
डिजिटल अरेस्ट से बचाव हेतु बताया गया कि किसी भी अनजान कॉल, मैसेज पर प्रतिक्रिया न दें, टावर लगाने के नाम पर भी लोगों से ठगी की जाती है, इससे बचने हेतु किसी अज्ञात बैंक खाता में पैसा जमा न करें। कोई कम्पनी कम लागत में अधिक पैसे कमाने का लालच देती है तो सावधान रहिये ऐसी कंपनी फर्जी होती हैं जो आपका पैसा लेकर कंपनी को बंद कर भाग जाते हैं। ठगों द्वारा फर्जी ऑफिस खोलकर, कम ब्याज दर पर अधिक लोन, बिना किसी कागज के आसानी से लोन दिलवाने हेतु फर्जी विज्ञापन प्रसारित किया जाता है और प्रोसेसिंग फीस के रुप में एकाउंट में रुपये जमा कराके फरार हो जाते है। मोबाइल व सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के सुरक्षित प्रयोग के बारे में भी बताया गया। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर इंटरनेट प्रयोग किये जाने पर साइबर अपराध के शिकार होने से बचा जा सकता है। जागरूक बनें और अपने धन की स्वयं सुरक्षा करने के सिद्वान्त पर काम करें। अन्त में महोदय द्वारा सभी छात्र-छात्राओं व स्कूल के स्टाफ को साइबर वॉलंटियर बनाया गया तथा अपेक्षा की कि वर्कशॉप में दी गई जानकारी को अपने परिवार, आस-पड़ोस में अधिक से अधिक लोगों को बतायें जिससे की कोई भी व्यक्ति जानकारी के आभाव में साइबर अपराधियों का शिकार न हो। इसी दौरान वर्कशाप में उपस्थित कालेज के छात्र व स्टाफ को पम्पलेट वितरित किये गये तथा स्कूल के अन्य छात्रों को जागरुक करने हेतु पोस्टर एवं बुकलेट उपलब्ध कराई गई। कार्यक्रम में साइबर थाना उ.नि. दिनेश कुमार, मु.आ. मुकेश कुमार, आ. प्रफूल्ल कुमार यादव, सत्यम गुप्ता, म.आ. आकांक्षा सिंह आदि मौजूद रहे।
साइबर सुरक्षा टिप्स-
- ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें
- किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी बैंक डिटेल, ओटीपी, बायोमैट्रिक डेटा, पैन कार्ड व आधार कार्ड की डिटेल किसी के साथ साझा न करें।
- सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
- अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें।
- अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।
- ऑनलाइन शॉपिंग में सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें।
- पासवर्ड को मजबूत और गुप्त रखें।
- ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखें।
- साइबर बुलिंग और साईबर स्टॉकिंग के मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कंपनी प्रबंधन और पुलिस को सूचित करें।
- साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1930 व बेवसाइट www.cybercrime.gov.in का प्रयोग करें।
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