दोनों सीट पर दौड़ी सपा की साइकिल
महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह व बीजेपी सांसद बीपी सरोज हारे
जौनपुर। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंगलवार को हुई मतगणना में जनपद की दोनों लोकसभा सीट पर इंडी गठबंधन विजयी रहा। दोनों सीटों पर सपा की साइकिल तेज रफ्तार से दौड़ी। सपा को यादव व मुस्लिम मतदाताओं का एकतरफा वोट मिला, वहीं बसपा के दलित वोटों में भी सेंध लगाई। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों का भी समर्थन प्राप्त हुआ। बीजेपी अपने वोटरों को संभाल नहीं पाई लिहाजा उसके दोनों प्रत्याशी चुनाव हार गए। जौनपुर सीट पर सपा के बाबू सिंह कुशवाहा ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को 97564 मतों से पराजित किया। वहीं मछलीशहर सीट पर सपा की प्रिया सरोज ने बीजेपी के निवर्तमान सांसद बीपी सरोज को 34847 मतों से शिकस्त दी। परिणाम घोषित होते ही सपा और कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल रहा। वहीं भाजपाइयों के चेहरे मुरझा गए।
जौनपुर संसदीय क्षेत्र में सदर, बदलापुर, मल्हनी, शाहगंज तथा मुंगराबादशाहपुर विधानसभा सीटें आती है। सपा प्रत्याशी ने यहां शुरू से बढ़त बनाई जो अंत तक जारी रहा। बीजेपी को करारी हार जौनपुर सदर तथा मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में मिली। मल्हनी यादव बाहुल्य क्षेत्र है उधर सदर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी तादात है। यहां मौर्य बिरादरी का भी सपा को एकमुश्त वोट प्राप्त हुआ। सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा को कुल 5 लाख 6 हजार 76 मत प्राप्त हुए जबकि भाजपा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह को 4 लाख 8 हजार 512 वोट मिले। बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे निवर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव 1 लाख 56 हजार 691 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। बाकी अन्य 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
इधर, मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में मछलीशहर, मड़ियाहूं, जफराबाद, केराकत तथा वाराणसी जनपद भी पिंडरा विधानसभा सीट आती है। इस सीट पर भी भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। मछलीशहर व मड़ियाहूं विधानसभा में सपा को निर्णायक बढ़त मिली जिससे उसकी जीत आसान हो गई। यहां भी सपा प्रत्याशी ने शुरू से ही बढ़त बना लिया था। यहां पूर्व सांसद व केराकत विधायक तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज विजेता बनी। उन्हें कुल 4 लाख 49 हजार 302 मत प्राप्त हुआ जबकि भाजपा उम्मीदवार निवर्तमान सांसद बीपी सरोज को 4 लाख 14 हजार 455 वोट प्राप्त हुए। बसपा उम्मीदवार कृपाशंकर सरोज 1 लाख 56 हजार 806 मत प्राप्त का तीसरे स्थान पर रहे। अन्य सभी 9 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
सत्ता विरोधी लहर बना जीत का रोड़ा
इस चुनाव में भाजपा का राष्ट्रवाद व राममंदिर मुद्दा काम नहीं आया। सत्ता विरोधी लहर के आगे जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया। दोनों सीट पर भाजपा हाईकमान द्वारा घोषित प्रत्याशियों को लेकर भी कार्यकर्ताओं में नाराजगी रही। पार्टी के कुछ नेता किसी न किसी बहाने खुद को किनारे कर लिए तो वहीं कुछ दूसरे जनपद में प्रचार को निकल गए। विपक्षी दलों द्वारा संविधान खत्म करने आरक्षण समाप्त करने का नैरेटिव आग में घी का काम किया।
- बसपा के वोटरों का टूटना भी रहा फायदेमंद
इस चुनाव में बसपा मजबूती से चुनाव नहीं लड़ पाई कांग्रेस का साथ पाकर सपा उतनी मजबूत नहीं हुई जितनी बसपा के वोटरों से टूटने से उसे फायदा हुआ। बसपा का वोट बड़ी संख्या में टूटकर सपा की तरफ शिफ्ट हो गया। इससे सपा को बहुत फायदा हुआ और उसकी जीत की राह आसान हो गई। भाजपा ने भी बसपा के वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की लेकिन उतनी कामयाब नहीं हो पाई।
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