जौनपुर। जनता करेगी फैसला। यही वह स्लोगन है जिसके बड़े-बड़े बैनर जौनपुर के कई चौराहों, तिराहों पर धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद लगाए गए थे। जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट से सात वर्ष की सजा पाने के बाद धनंजय सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सजा को रद्द करने की अर्जी दाखिल की है। 24 को उस पर भी सुनवाई होगी, लेकिन इस वक्त की बड़ी खबर यह है कि अब जनता की अदालत में श्रीकला धनंजय सिंह की पेशी होनी तय हो गई है। जनता की अदालत में किसके हिस्से फैसला आएगा? इसकी तिथि मुकर्रर है लेकिन अभी इस क्लाइमैक्स तक पहुंचने में बड़ी कठिन पनघट की डगर को पार करना होगा। यह जितना सरल धनंजय सिंह के समर्थकों को लगता है उतना है नहीं और उतना कठिन भी नहीं है जितना विपक्षियों को लगता है।
चलिए आपको जौनपुर लोकसभा के घोषित प्रत्याशियों के बारे में एक बार रूबरू करा देते हैं। जौनपुर लोकसभा सीट पर सबसे पहले भाजपा ने हेलीकॉप्टर प्रत्याशी महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को यहां पर प्रत्याशी बनाकर भेजा। यहां पर वर्षों से तैयारी कर रहे कई भावी प्रत्याशियों का मुंह ही लटक गया था। मान-मनौव्वल के बाद कुछ तो मान गए तो वहीं कुछ अब भी अंदर ही अंदर घुंट रहे हैं कि वह कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं और न ही इसका विरोध कर सकते हैं। आखिर पार्टी में भी तो रहना ही है। इस वक्त केंद्र और प्रदेश में इसी पार्टी की सत्ता है, मलाई भी यहीं मिलनी है, तो चुपचाप पड़े हुए हैं।
धीरे-धीरे समय बीतता है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी का इंतजार होने लगा। कोई कह रहा था कि सपा मौर्या पर दांव लगाएगी तो कोई कह रहा था यादव पर कोई कह रहा था बनिया वर्ग भी टिकट मांग रहा है तो कोई कह रहा है धनंजय सिंह भी लाइन में हैं। आखिरी बार जब पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मुलाकात अखिलेश यादव से होती है तो उसके कुछ दिन बाद ही धनंजय सिंह को सजा हो जाती है और वह जेल चले जाते हैं। फिर भी कुछ महीने तक जनता को इंतजार रहता है कि शायद समाजवादी पार्टी धनंजय सिंह के किसी परिवार को या फिर हाई कोर्ट से सुनवाई के बाद अगर धनंजय सिंह की सजा रद्द होती है तो उन्हें चुनावी मैदान में उतारेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। लखनऊ से अखिलेश भइया ने भी भाजपा की पगडंडी पकड़ ली और एनआरएचएम घोटाले में जिसके दामन में दाग लगे हैं उसको जौनपुर लोकसभा से प्रत्याशी बना दिया। बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही समाजवादी पार्टी में अंर्तकलह शुरू हो गया है। कुछ लोगों ने तो सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जो विरोध कर रहे हैं वो समाजवादी ही नहीं है। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि उन्हें बाहरी प्रत्याशी स्वीकार नहीं है, कोई स्थानीय चेहरे को तवज्जो दिया जाए। जौनपुर की जनता की तो न इन पार्टियों ने न तो सोचा और न ही समझा। हेलीकॉप्टर प्रत्याशियों को जौनपुर में अपना प्रत्याशी बना दिया।
इधर जनता के मन में चल रहा था कि कोई अपने जौनपुर का प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे तो इस मामले में बसपा ने बाजी मार ली। बसपा सुप्रीमो ने बसपा से ही सांसद रहे धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया। लोगों को एक बार फिर से उम्मीद जग गई कि कोई अपना अपनों के बीच समर्थन मांगने आएगा। बसपा की इस चाल या यूं कहे कि धनंजय सिंह की इस गुगली से बड़े-बड़ों की नींद उड़ गई है। बसपा सुप्रीमो ने समझदारी दिखाते हुए धनंजय सिंह के पिता राजदेव सिंह को टिकट न देकर धनंजय सिंह की पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा है। चर्चा यह भी थी कि राजदेव सिंह का नाम घोषित होगा, लेकिन इसके उलट जब धनंजय सिंह की पत्नी का नाम सामने आया तो विरोधियों के पैरो तले जमीन खिसक गई। अब जौनपुर में रोमांचक मुकाबला होगा। लड़ाई कांटे की हो गई है और जीत-हार का अंतर भी कम होगा। साथ ही साथ बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा भी जोर पकड़ेगा। फिलहाल आगे-आगे देखिए क्या होता है अभी तो यह लोकसभा चुनाव का ट्रेलर मात्र है। वहीं चर्चा यह भी है कि दो बुजुर्गों के बीच श्रीकला धनंजय सिंह की ग्रैंड एंट्री से विरोधी चारो खाने चित नजर आ रहे हैं।
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