#JaunpurLive : 'मौतशाला' बना ताजुद्दीनपुर गांव का 'गौशाला'



प्रधान, सचिव व प्रधानपति की लापरवाही से गोवंशों की स्थिति दयनीय
खान—पान में कमी के चलते कमजोर हो रहे गोवंशों को नोंच रहे जानवर
जौनपुर। सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही गाय को लेकर गम्भीरता शुरू हो गयी जिसको लेकर जनपद के लगभग सभी ग्रामसभा में गौशाला बनाकर लावारिश गायों को रखने का निर्देश जारी कर दिया गया। साथ ही उनके खान—पान, रहन—सहन, दवा आदि का विशेष ख्याल रखने को भी कहा गया लेकिन अधिकांश गौशालाओं में उपरोक्त शासनादेश का जबर्दस्त उल्लंघन किया जा रहा है।


इसी तरह का एक मामला जनपद के मड़ियाहूं ब्लाक अन्तर्गत ताजुद्दीनपुर गांव में बने गौशाला में देखने को मिल रहा है जहां लापरवाही के चलते गोवंशों की स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि देखने वालों का रूह कांप जा रहा है। ऐसा दृश्य देखकर आम जनमानस के आंखों से आंसूओं की धारा बह जा रही है जो कह रहे हैं कि जिम्मेदार आखिर मौन क्यों हैं?


बता दें कि उक्त गौशाला में रह रहे गोवंशों की वर्तमान में स्थिति काफी दयनीय हो गयी है जहां काफी कमजोर हो चुके गोवंशों को कौवे आदि नोच रहे हैं। गौशाला में कार्य करने वालों की मानें तो यहां से जानवरों को आये दिन बेच भी दिया जाता है। आरोपों की मानें तो यह कार्य प्रधानपति रत्ती लाल, अमृत लाल व सचिव द्वारा कराया जाता है। अच्छे जानवरों को अच्छे—खासे दामों में बेच दिया जा रहा है। गौशाला के जानवरों में से कुछ कसाइयों के हाथों और कुछ आम आदमी को बेच दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रधान सहित उनके भाई द्वारा सप्ताह एवं महीने में कम से कम 10 से 15 जानवर बेचे जाते हैं। गौशाला की स्थिति बहुत दयनीय हो गयी है जहां काम करने वालों का भी जबरदस्त शोषण प्रकाश में आया है। उन्हें किसी से बात करने की इजाजत नहीं दी गयी है। यदि करते हैं तो उन्हें मारा—पीटा जाता है। गरीबी के आलम में काम करने वालों ने बताया कि हमसे पूरा काम लिया जाता है।
बताते चलें कि जानवरों की सही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न कराये जाने से आये दिन जानवर मर रहे हैं जिस पर स्थानीय लोगों ने बताया कि सम्बन्धित लोग आते तो हैं लेकिन प्रधान एवं सचिव से वार्ता करते हुये खानापूर्ति करके चले जाते हैं। गौशाला में कुछ ऐसे भी गाय हैं जो मरणासन्न अवस्था में हैं जिनकी आंखों आदि अंगों को कौवे, गाय आदि तक नोच रहे हैं, मगर जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
बताते चलें कि प्रधानपति एवं सचिव की शिथिलता का परिणाम है कि उक्त गौशाला में गायें मर रही हैं। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि जो जानवर मर जाते हैं, उनको हम लोग गौशाला से कुछ दूरी पर स्थित एक सुनसान जगह पर दफन कर देते हैं। सूत्रों की मानें तो गौशाला का पूरा लेखा-जोखा उदयराज द्वारा रखा जाता है। जानवरों को मरने पर गड्ढा खोदकर उन्हें दफन कर दिया जाता है। वह काम जो कर्मचारी करते हैं, उसके बाबत उन्हें कोई मजदूरी भी नहीं दी जाती है। राजेश, सिपाही व सुभावती नामक कर्मचारियों के ही कंधे पर पूरे गौशाला की देख—रेख है जहां ये लोग जानवरों को खिलाना—पिलाना सुनिश्चित कराते हैं।


बताते चलें कि उक्त गौशाला में जानवरों की संख्या 200 से अधिक है जहां मरने वाले जानवरों की संख्या दिन—प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। गौशाला के जानवरों में गाय सहित ऐसे अन्य गोवंशों को भी बेच दिया जाता है जो कुछ सही स्थिति में हैं। रती लाल के भाई यानी प्रधान उषा देवी के पति अमृत लाल द्वारा पूरी प्रधानी का कार्यभार किया जाता है। वहीं एडीओ पंचायत, बीडीओ, सचिव को जिम्मेदारी हैं लेकिन ऐसे लोग मौन साधे हुये हैं। इस मामले में सचिव कृष्णपाल यादव एवं प्रधानपति रत्ती लाल से बात करने पर उन्होंने सभी प्रश्नों को एक तरफ से खारिज करते हुये कहा कि सरकार द्वारा किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलता है और न ही पशुओं को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। जो फार्मासिस्ट हैं, उन्हें सैकड़ों बार फोन करने पर भी समय से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
इस बाबत पूछे जाने पर प्रधानपति ने बताया कि स्वाभाविक है कि कौवा चोंच मारकर जानवरों को घायल कर देते हैं किन्तु साफ—सफाई, खान—पान, बेचे गये जानवरों का कोई जानकारी न देने की बजाय नेटवर्क की खराबी बताकर फोन काट दिया। वहीं सचिव ने इस पर अनभिज्ञता जाहिर करते हुये कहा कि मुझे कुछ भी मालूम नहीं है। गौशाला की देख—रेख सहित उनकी सारी जिम्मेदारी प्रधान को सौंपा गया है। फिलहाल प्रधानपति से बातचीत एवं सचिव का मौन रहना यह साबित होता है कि विकास खण्ड मड़ियाहूं के अधिकारियों एवं प्रधान की मिलीभगत से इस गौशाला के जानवर निर्दयता का दंश झेल रहे हैं।


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