नो पोस्टर नो बैनर, पर बाजी मारे कृपाशंकर | #NayaSaveraNetwork

  • बड़े नेताओं से संपर्क और अनुभव का मिला पुरस्कार

शिवपूजन पाण्डेय @ नया सवेरा नेटवर्क

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा वरिष्ठ भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह हमेशा से अपनी कर्मभूमि मुंबई के साथ-साथ जन्मभूमि जौनपुर से भी जुड़े रहे। वे अपने वक्तव्यों में भी बराबर कहते रहे कि उत्तर प्रदेश उनकी मां है तो महाराष्ट्र उनकी मौसी। उत्तर प्रदेश को देवकी मैया और महाराष्ट्र को यशोदा मैया की संज्ञा देने वाले कृपाशंकर सिंह हमेशा अपनी जन्मभूमि के विकास और वहां की समस्याओं के निराकरण की दिशा में समर्पित निस्वार्थ भावना के साथ लगे रहे। प्रदेश और केंद्र के मंत्रियों से अच्छे संबंध होने के कारण उन्होंने समय-समय पर जनपद में पुल और सड़कों से लेकर विकास के अनेकों काम किए। केंद्रीय नेताओं के साथ-साथ आम जनता से भी जुड़े रहे। कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए सप्ताह में दो से तीन बार जौनपुर की यात्रा करते रहे। यही कारण है कि जब राजनीति की भविष्यवाणी करने वाले लोग उन्हें टिकट की रेस से बाहर मान रहे थे, उसी समय केंद्र ने उनकी जमीनी ताकत को समझते हुए तथा उन पर विश्वास करते हुए उन्हें टिकट पकड़ा दिया। कृपाशंकर सिंह ने लंबे समय तक महाराष्ट्र की राजनीति में सफलतापूर्वक काम किया। महाराष्ट्र के साथ-साथ हुए दिल्ली की राजनीति से भी जुड़े रहे। लंबे समय तक उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली की राजनीति के बीच सेतु का काम किया। दिल्ली के बड़े-बड़े नेता जब मुंबई आते थे, तो कृपाशंकर सिंह ही उनकी सारी व्यवस्था देखते रहे। कृपाशंकर सिंह के साथ-साथ उत्तर भारतीय समाज का कद भी बढ़ता गया। उन्होंने हमेशा खुद को उत्तर भारतीय नेता के रूप में ही प्रस्तुत किया। परिश्रम संस्था के बैनर तले उनके नेतृत्व में वसई, विरार ,नालासोपारा,  भायंदर, मीरा रोड में किए गए रोड शो में जिस तरह आम उत्तर भारतीयों की भीड़ दिखाई दी, उससे राजनीति के बड़े-बड़े जानकार भी हक्का-बक्का रह गए। रिक्शा चालक, फेरीवाला, टैक्सी चालक से लेकर सभी पार्टियों के उत्तर भारतीय नेता और कार्यकर्ता उनके रोड शो में शामिल हुए। बढ़ती उम्र के बावजूद कृपाशंकर सिंह आज भी किसी युवा की तरह पूरी तरह से सक्रिय हैं। आज भी वे 24 घंटे के अंदर देश के अलग-अलग दिशाओं में यात्रा कर सकते हैं।

कृपाशंकर सिंह में सबसे बड़ा गुण उनकी विनम्रता, शालीनता ,सादगी और सहयोग की प्रवृत्ति है। यही विशेष गुण उनको आम लोगों से जोड़कर रखती है। इसका अंदाजा आप पिछले दिनों घटी एक घटना से लगा सकते हैं। पुणे की एक झोपड़पट्टी में रहने वाला रामधीरज यादव नामक एक रिक्शा चालक स्थानीय गुंडो से परेशान था। गुंडे उस पर घर छोड़ने का दबाव बना रहे थे। मीनाताई हुबलीकर नामक सामाजिक  कार्यकर्ता ने उसे कृपाशंकर सिंह का नंबर देकर कहा कि तुम्हारी समस्या का वही समाधान कर सकते हैं। रामधीरज यादव ने कृपाशंकर के मोबाइल पर अपनी समस्या लिखकर व्हाट्सएप मैसेज किया। कृपाशंकर सिंह ने मैसेज पढ़कर तत्काल उस रिक्शा चालक से संपर्क किया। उन्होंने वहां के पुलिस अधीक्षक से बात की। उनके प्रयासों का नतीजा रहा कि आज रामधीरज यादव का परिवार पूरी तरह से सुरक्षित और शांतिपूर्वक रह रहा है। कृपाशंकर सिंह ने कभी जाति और धर्म की राजनीति नहीं की। जनता की सेवा करना उनका सबसे बड़ा धर्म रहा। देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान राहुल एजुकेशन के सचिव राहुल तिवारी के अनुसार कृपाशंकर जी अजातशत्रु है, अपनों पर तकलीफ  पड़ने पर वे आधी रात को भी पहुंच जाते हैं। वे किसी को भी अपना दुश्मन नहीं मानते। उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे लोगों की सख्त आवश्यकता है,जो आम लोगों की पीड़ा और तकलीफ को महसूस करता हो।



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