कृपाशंकर पर यूं ही नहीं बरसी बीजेपी की 'कृपा' | #NayaSaveraNetwork

प्रमोद जायसवाल

जौनपुर लोकसभा सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री जनपद निवासी कृपाशंकर सिंह को भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रत्याशी घोषित करने से खाटी भाजपाइयों व दावेदारों को भले ही ठेस पहुंची है परन्तु कृपाशंकर को मैदान में उतारकर बीजेपी ने जौनपुर से लगायत महाराष्ट्र तक निशाना साधा है। दरअसल महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की अच्छी तादात है। सभी राजनीतिक दल उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं। कृपाशंकर सिंह की उत्तर भारतीय मतदाताओं में गहरी पैठ है। कृपाशंकर के जरिए बीजेपी उत्तर भारतीयों का ज्यादा से ज्यादा वोट अपने पक्ष में करने की फिराक में है।

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महाराष्ट्र की सियासत में उत्तर भारतीयों की अहम भूमिका

मुंबई महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की संख्या करीब 40 फीसदी तथा वोटरों की तादाद 30 फीसदी है जो वहां की सियासत में अहम भूमिका निभाते हैं। ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए उत्तर भारतीयों का साथ जरूरी है, इसलिए उन्हें लुभाने के लिए सभी पार्टियां नई-नई योजनाएं बनाती रहती हैं, जिसके संग उत्तर भारतीय रहते हैं उनकी जीत पक्की हो जाती है। कांग्रेस ने कृपाशंकर सिंह के जरिए उत्तर भारतीयों को अपने साथ जोड़कर जनाधार मजबूत किया था। अब कृपाशंकर सिंह बीजेपी के साथ हैं।


टारगेट 400 के लिए एक-एक सीट निर्णायक

2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 370 तथा सहयोगी दलों को मिलाकर 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। एक-एक सीट के लिए पार्टी द्वारा अलग-अलग रणनीति तैयार की गई है। महाराष्ट्र में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी - शिवसेना ने 48 में से 41 सीटें जीती थी। उद्धव ठाकरे का साथ छूटने के बाद बीजेपी नए सहयोगियों की तलाश में है। शिवसेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे गुट के साथ सरकार बनाई । एनसीपी के शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को पार्टी में शामिल किया। कड़वी घूंट के साथ में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को भी स्वीकार किया है। ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर बीजेपी की मंशा लक्ष्य भेदने के साथ अपने पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे को आईना दिखाना है।


कार्यकर्ताओं व मतदाताओं को मना लेगी बीजेपी

भाजपा कैडर आधारित मजबूत संगठन वाली पार्टी है जहां उम्मीदवार से अधिक पार्टी का मापदंड चलता है। पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उम्मीदवार चाहे जो हो, चुनाव निशान कमल का फूल होता है। कृपाशंकर सिंह भले ही मिलनसार अच्छे व्यक्तित्व वाले हैं परंतु उनको लेकर कार्यकर्ता थोड़ा असहज अवश्य हैं, मगर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों को मना लेगी।  समीकरण का हवाला देकर पार्टी जौनपुर सीट के दावेदारों को भी मनाने में कामयाब होगी।

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धनंजय सिंह पेश करेंगे बड़ी चुनौती

जौनपुर लोकसभा सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह पूरी मजबूती के साथ चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं। वह किसके बैनर तले मैदान में उतरेंगे? इसका पत्ता नहीं खोला है, मगर वह कृपाशंकर सिंह को कड़ी चुनौती पेश करेंगे। धनंजय सिंह के पास समर्थकों की अच्छी तादात है, जिसके बलबूते वह हमेशा लड़ाई में बने रहे हैं। वर्ष 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था। उसके बाद के चुनावों में उन्हें विजयश्री अवश्य नहीं मिली, परन्तु अपना राजनीतिक दमखम तथा रूतबा बरकरार रखा है। इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के अलावा धनंजय से पार पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।


कई दावेदारों के मंसूबों पर फिरा पानी

कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद खाटी भाजपाइयों के अलावा बीजेपी से टिकट की चाहत रखने वाले अनेक दावेदारों के मंसूबों पर पानी फिर गया है। चुनाव नजदीक देख पिछले छह माह से इन दावेदारों की क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई थी। जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बनाने में जुटे थे। सेवानिवृत्त होने के बाद जौनपुर के पूर्व जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह लगातार जनता के बीच में थे। प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर अभिषेक सिंह भी भाजपा से टिकट की चाह में थे। इसके अलावा कई व्यापारी, चिकित्सक भी अपना बैनर, पोस्टर लगाए थे। सभी को निराशा हाथ लगी है।



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