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आत्मनिर्भर भारत को तात्कालिक तीव्र गति देने के लिए उचित समय है - नए भारत की रचना करने में पक्ष-विपक्ष सभी का साथ आना ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से कोविड-19 ने हमला कर अर्थव्यवस्था सहित हर क्षेत्र को अति भारी क्षति पहुंचाई है। साथियों बड़े बुजुर्गों का कहना है कि आपदा आती है तो जोश में होश नहीं खोना चाहिए, बल्कि उसका मुकाबला कर आपदा को सकारात्मक अवसर में भी बदलना बुद्धिमानी है जो नेक नियति, विश्वास, ईमानदारी, परोपकार और भलाई के लिए हो। साथियों बस!!! यही बड़े बुजुर्गों की बात!!! हमें कोविड-19 के बाद की स्थिति में अब पूरे देश के खातिर पकड़नीं हैं!! साथियों बात अगर हम आत्मनिर्भर भारत बनाने की करें तो अभी हमारे पास कोविड-19 पश्चात कासटीक मौका है कि हम इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि विस्तारवादी मुल्क को विश्व ने ने निग्लेक्ट करना शुरू कर दिया है और अब दुनिया में अवसर पैदा हुए हैं। अब दुनिया नई और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश में है! जिसका डेस्टिनेशन हम भारत को बना सकते हैं। साथियों बात अगर हम माहौल पैदा करने की करें तो माननीय पीएम ने 19 नवंबर को सुबह तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर पिछले डेढ़ साल से चले आ रहे तनाव को समाप्त करने की जोरदार पहल की जिसकी उम्मीद ही नहीं थी!! परंतु आज 21 नवंबर 2021 को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई खबरों के अनुसार सामने वाले पक्ष ने पीएम को ईमेल से के छह मांगों वाला एक लेटर भेजा है जिसमें कहा गया है कि 11 राउंड की बातचीत के बाद आपने द्वपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चुना लेकिन हम खुश हैं कि आपने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की हम इसका स्वागत करते हैं। और साथ में छह मांगे रखी है। फिर भी मेरा मानना है कि अब प्लेटफार्म बना है, बैठक कर मुद्दों को सुलझा लेना चाहिए और भरोसा करना चाहिए तथा देश का विकास करने और आत्मनिर्भर भारत को तीव्रता से बनाने, दुनियां का भरोसेमंद आपूर्ति श्रंखला बनना है!! जो कृषि, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक, वाणिज्य सहित सभी क्षेत्रों को उसके अनुरूप बनाने में भिड़ जाना है। अगर हम घर में ही आपसी मुद्दों पर उलझे रहेंगे तो वर्तमान में आया बहुत उचित सकारात्मक अवसर हमारे हाथ से निकल जाएगा। साथियों बात अगर हम इस मुद्दे पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 3 जुलाई 2020 को जारी पीआईबी का संज्ञान लें तो एक पदम विभूषण विद्वान ने कहा है, कि आत्म-निर्भरता या आत्म-निर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के प्रयास में हम खुद को दुनिया से अलग नहीं कर सकते बल्कि खुद को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ जोड़ना जरूरी है। उन्होंने आत्म-निर्भर भारत के पांच स्तंभों -'खरीदने, बनाने, बेहतर बनाने के लिए खरीदने, बेहतर खरीदने के लिए बनाने और मिलकर बनाने (सार्वजनिक-निजी भागीदारी का निर्माण) पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें देश की युवा शक्ति में अटूट विश्वास है, जिसे हमारे देश की तरक्की के लिए तकनीक और भरोसे के साथ तालमेल बिठाकर और निखारने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि कोविड-19 के बाद दुनिया के लोगों को विस्तारवादी देश के विकल्प में एक जगह की तलाश होगी क्योंकि उसने भरोसा खो दिया है। उन्होंने कहा कि भारत एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में उभरा है, जिसके लिए भारत को व्यापार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने और विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए उचित साधन और पर्याप्त बुनियादी ढांचे का विकास करने की आवश्यकता है। उन्होंने अपना विचार रखते हुए कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को केवल उत्पादों के संयोजन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत में इसका आविष्कार भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्पादों के संयोजन से नि:संदेह नौकरियों का सृजन होगा लेकिन नए विकल्प के लिए हमें गहन अनुसंधान करने की ज़रूरत है। अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसंधान धन को ज्ञान में बदल देता है और नवाचार ज्ञानको धन में परिवर्तित करता है, इसलिए हमारे राष्ट्र की समृद्धि के लिए दोनों काम साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमारे पास प्रतिभा और प्रौद्योगिकियां हैं लेकिन अब हमें अपने आप पर भरोसा जगाने या अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की किस्मत बड़े पैमाने पर बदलने जा रही है क्योंकि यह दुनिया में राजनीतिक रूप से भरोसेमंद देशों में से एक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 10 मंत्रों पर प्रकाश डालते हुए अपने भाषण का समापन किया। ये 10 माशेलकर मंत्र हैं:-(1) लक्ष्य ऊंचा रखें - आकांक्षाएं आपकी संभावनाएं हैं, (2) दृढ़ता, (3) हम समस्या नहीं बल्कि हमेशा समाधान का एक हिस्सा हैं, (4) जब सभी दरवाजे बंद हो जाएं तो अपने दरवाजे खुद बनाएं (5) चुपचाप कड़ी मेहनत करें, कहानी सफलता कहेगी, (6) तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएं - नवोन्मेष, जुनून, हृदय में करुणा, (7) हम कुछ भी कर सकते हैं लेकिन सब कुछ नहीं - आप जो करते हैं उसी पर ध्यान दें, (8) सकारात्मक बनें, (9) नए कौशल और नई तकनीकों की आवश्यकता है क्योंकि दुनिया बदल रही है, और (10) मानवीय कल्पना, मानवीय उपलब्धि और मानव धीरज की कोई सीमा नहीं है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि कोविड-19 के बाद दुनियां में काफी अवसर पैदा हुए हैं तथा दुनिया नई और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश में है। इसलिए आत्मनिर्भर भारत को तात्कालिक तीव्र गति देने के लिए उचित समय है। नए भारत की रचना करने में पक्ष-विपक्ष सभी का एक साथ आना ज़रूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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