नया सबेरा नेटवर्क
कर्मचारियों के आलमारियों का उपयोग करने से बाज नहीं आते दलाल
अजय पाण्डेय
जौनपुर। परिवहन संभागीय परिवहन विभाग के कार्यालयों में है दलालों का इतना बोलबाला है कि बाबूओं के कार्यालय में रखे गए आलमारियों का उपयोग दलाल दबंगई से किया करते हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ ऐसे मनबढ़ दबंग किस्म के दलाल हैं जो एआरटीओ विभाग की मोहर लगाकर संभागीय परिवहन अधिकारी का हस्ताक्षर करके वह आरसी, ट्रांसफर, ड्राइविंग लाइसेंस आदि का कार्य करके उपभोक्ताओं से मोटा पैसा वसूलते हैं। इसकी सूचना कई बार अधिकारियों को दिया गया परंतु उस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई करने से अधिकारी आखिर क्यों डरते हैं? क्या दलालों के ही चंगुल में पूरा संभागीय परिवहन विभाग रहेगा और सरकार द्वारा निर्गत की नियमावलियों को धता बताकर दलाल खुद अधिकारी बनकर कार्य संपादित करा देते हैं जबकि औचक निरीक्षण होने पर गाज कार्यालय में कार्यरत लिपिक, बाबू, हेड बाबू अन्य कर्मचारियों के ऊपर गिरती है जबकि देखा जाए तो इसका डिक्टेटरशिप या प्रभाव दलालों या अधिकारियों के हाथ में है। यह कहने में कतई गुरेज नहीं है कि बिना मिलीभगत के ऐसा कार्य होना संभव नहीं है। निश्चित रूप से विभागीय अधिकारी के प्रभाव में ऐसे गलत काम यह कराए जा रहे हैं और उसमें पिसते हैं। कार्यरत बाबू चरितार्थ है। गेहूं के साथ घुन भी पीसा जाता है। उसका प्रत्यक्ष उदाहरण जौनपुर संभागीय परिवहन विभाग का कार्यालय है। सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों की कोई किसी भी प्रकार का सहयोग बाबू को नहीं मिलती है। दलालों पर यदि बाबू अंकुश लगाने का प्रयास करे तो वे सभी लामबंद होकर हाथापाई पर उतारू हो जाते है परन्तु अधिकारियों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती। इससे कहीं न कहीं स्पस्ट करता है कि कार्यरत बाबुओं पर कम दलालो पर कुछ अत्यधिक कृपा बनी हुई है।
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