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नियमित करें ध्यान व प्राणायामों का अभ्यासः अचल हरीमूर्ति
जौनपुर। योग और यज्ञ हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज इस भौतिकता से युक्त हुए वातावरण में इनकी महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है इसलिए प्रत्येक परिवार को पुनः इन परम्पराओं को पूर्णतः अंगीकार करते हुए इस विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जा सकता है जहां हवन-यज्ञ के माध्यम से पूरा वातावरण शुद्ध होता है वहीं इस वातावरण में किया गया योगाभ्यास व्यक्ति के स्वास्थ्य को सर्वोत्तम बना देता है। यह बातें पतंजलि योग समिति के तत्वावधान में नगर स्थित एक मैरेज हॉल में चल रहे योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में बतौर मुख्य अतिथि तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य डा. समर बहादुर सिंह ने कही। प्राचार्य ने बताया कि आज पूरी दुनिया योग की महत्ता को जान चुकी है। पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति ने बताया कि हर व्यक्ति को कम से कम कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायामों को ध्यानात्मक अवस्था में रहकर करने का अभ्यास अपनी दैनिक दिनचर्या में अवश्य सम्मिलित करनी चाहिये। यही दोनों प्राणायामों का अभ्यास रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ ऊर्जा स्तर को हमेशा ऊंचा किये रहता है। इस मौके पर योग शिविर के अध्यक्ष अधिवक्ता हरीनाथ यादव, नवीन द्विवेद्वी, राजीव सिन्हा, संजय सिंह, नवीन सिंह, डा. ओपी यादव, डा. ध्रुवराज आदि उपस्थित रहे।
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