#JaunpurLive : "मेरा आर्ट वर्क एक रिसर्च है - रूमा चौधुरी"

#JaunpurLive : "मेरा आर्ट वर्क एक रिसर्च है - रूमा चौधुरी"


- प्रकृति नहीं तो जीवन नहीं।
- आर्ट टॉक के 11वें एपिसोड में शांतिनिकेतन से रूमा चौधुरी शामिल हुईं ।
- अस्थाना आर्ट फ़ोरम के ऑनलाइन मंच पर ओपेन स्पेसेस- आर्ट टॉक एंड स्टूडिओं  विज़िट का 11वाँ एपिसोड रविवार को आयोजित हुआ।
 लखनऊ, अस्थाना आर्ट फ़ोरम के ऑनलाइन मंच पर ओपन स्पसेस आर्ट टॉक एंड स्टूडिओं विज़िट के 11वें एपिसोड का लाइव आयोजन रविवार 18 जुलाई 2021 को किया गया। इस एपिसोड में अतिथि कलाकार के रूप में शांतिनिकेतन से रूमा चौधुरी रहीं इनके साथ बातचीत के लिए नई दिल्ली के आर्टिस्ट व क्यूरेटर अक्षत सिन्हा और इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में स्विट्जरलैंड से आर्टिस्ट अर्पिता अखंडा भी शामिल हुईं। कार्यक्रम ज़ूम मीटिंग द्वारा लाइव किया गया।
  कार्यक्रम के संयोजक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि रूमा चौधुरी बीरभूम वेस्ट बंगाल की मूल निवासी हैं। इनकी कला शिक्षा कला भवन विश्वभारती शांतिनिकेतन से 2016 में पूर्ण हुआ है। कला शिक्षा के दौरान ही रूमा ने बहुत से प्रयोग किये। चाहे वह परफॉर्मेंस रही हो या पेपर मेकिंग । वर्तमान में रूमा एक स्वतंत्र कलाकार हैं, कला के कई विधाओं में पारंगत भी हैं वे परफॉरमेंस आर्टिस्ट, पेपर मेकर और एक फोटोग्राफर भी हैं। इनकी कला के लिए इनको स्कॉलरशिप, कई पुरस्कार भी प्राप्त हैं। साथ ही इनकी कलाकृतियों की एकल व सामूहिक प्रदर्शनी भी लगाई गई हैं। इसके अलावा कई कार्यशालाओं और आर्ट कैम्प में भी भागीदारी कर चुकी हैं। 
रूमा को कला की तरफ रुझान बचपन से ही था। बाद में इनकी इस रुझान को देखकर इनके परिवार ने इन्हें इस तरफ जाने के लिए प्रोत्साहित और सपोर्ट किया। 
रूमा चौधुरी ने अपने काम मे बहुत प्रयोग किया है और आज भी कर रही हैं। रूमा  प्राकृतिक चीज़ों से हैंडमेड पेपर बनाती हैं अलग अलग प्रकार के पत्तियां, घास, बम्बू और भी अनेकों प्राकृतिक चीजों से पेपर बनाती हैं। और प्राकृतिक चीजों से रंग भी बनाती हैं और उन्ही का प्रयोग अपने कलाकृतियों में करती हैं। और उनपर रेखांकन करती हैं। रूमा हमेशा प्रकृति से प्रेरित हैं। रूमा बीरभूम से सम्बंध रखती हैं जहाँ की ज़मीन लाल मिट्टी और चारों तरफ प्राकृतिक दृश्य है। जिसके कारण बचपन से प्रकृति के बीच रहीं और इसी को अपनी कला के लिए भी प्रयोग करती हैं। 
रूमा ने कला और विज्ञान को एक साथ समेटा है। जहां वे प्रकृति से अलग अलग चीजों को लेकर उनके टेक्सचर, उनके रंग को एक तकनीकी माध्यम से बड़े बड़े पेपर बनाती हैं वहीं अपने विचारों को भी कला के माध्यम से अमली जामा देती हैं। रूमा ने कई अवसरों पर अपने शरीर को भी कला के रूप में प्रस्तुत किया है। अपने बालों से पेंटिंग भी किया। रूमा ने अभी तक 21 फाइबर को लेकर काम किया है। रूमा इस प्रकार किए गए कार्यों के प्रोसेस को एंजॉय के साथ करती हैं। रूमा को प्रकृति से गहरा लगाव है हमेशा इसके करीब रहना चाहती हैं। रूमा आज जिस पड़ाव पर हैं इसके पीछे एक लंबी यात्रा है।रूमा हमेशा प्रकृति से वास्तविक रेफेरेंस लेती हैं। रूमा कहती हैं कि आज इंसान ही प्रकृति को नष्ट कर रहा है यदि प्रकृति नहीं रही तो हम भी नहीं रह पाएंगे। प्रकृति हमे सबकुछ प्रदान करती है। पेड़ पौधे हमारे बैकबोन की तरह हैं।
रूमा घास,पेड़ों के छाल, पत्ते, बम्बू के राख आदि से पेपर और रंग बनाती हैं और उन्हें अपनी कला के लिए प्रयोग करती हैं। इन चीजों का लेयर के रूप में प्रयोग करके बड़े और मोटे पेपर का निर्माण करती हैं। रूमा कहती हैं कि मेरे एक एक काम एक कहानी है, एक विचार है। 







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