कोविड-19 अनलॉक - अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, जीडीपी संकुचन, बेरोजगारी, बचत सृजन की समस्याओं से निपटने रणनीतिक रोडमैप बनाना जरूरी | #NayaSaberaNetwork



नया सबेरा नेटवर्क
भारत को साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने, अपने समुचित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना होगा - एड किशन भावनानी
गोंदिया - कोविड-19 महामारी ने 2020 से ही संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जो अभी तक तांडव जारी है। हालांकि, कुछ देशों ने महामारी पर बहुत हद तक नियंत्रण कर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के रणनीतिक रोडमैप बनाकर क्रियान्वयन शुरू कर दिया है।.....बात अगर हम भारत की करें तो भारत में भी कोविड-19 ने 2020 से ही जनहानि के साथ-साथ आर्थिक हानि पहुंचाने में मुख्य रोल अदा किया है। यहां बेरोजगारी, जीडीपी संकुचन, महंगाई दर बढ़ना, लगातार घटती आय, इत्यादि कमियों का सृजन करने में भी कोरोना महामारी ने मुख्य रोल अदा किया है। परंतु हम भी भारत माता के सपूत हैं, आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। परिस्थितियों और कोविड-19 महामारी रूपी तूफान औरसुनामी से महायुद्ध शुरू है और हमें विश्वास है कि जीत हमारी ही होगी, जो दिनांक 2 जून 2020 को आए संक्रमित आंकड़ों से सिद्ध होता है। जो कि पिछले 55 दिनों के आंकड़े से बहुत कम है और कुछ दिनों से कम होते जा रहे हैं और कोरोना महामारी से जंग जीतने वालों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है जो इस महायुद्ध से हमारी जीत की ओर इशारा कर रहा है। इसी की परिणति है कि अधिकतर राज्यों ने 1 जून 2021 से, लॉकडाउन को लॉक कर अनलॉक शुरू किया गया है।....बात अगर हम कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था की करें तो वर्तमान में 31 मई 2021 को जीडीपी 7.3 प्रतिशत संकुचित हुई है और बेरोजगारी दर जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी वह मई माह में 12 प्रतिशत हो गई।....बात अगर हम 31 मई 2021 को घोषित और 1 जून को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) की रिपोर्ट की करें तो उसके अनुसार कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण देश में एक करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जबकि पिछले साल महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक 97 प्रतिशत परिवारों की आय घटी है। सीएमआईई के सीईओ के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बताए अनुसार जिन लोगों की नौकरी गई है उन्हें नया रोजगार तलाशने में दिक्कत हो रही है। क्योंकि असंगठित क्षेत्र के रोजगार तेजी से सुजन होते हैं, परंतु संगठित क्षेत्र के रोजगार के सृजन और अच्छी नौकरियों के आने में समय लगता है। उनके अनुसार 42 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है और अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए तो उनका अनुमान है कि देश में 97 प्रतिशत परिवारों की आय महामारी के कारण कम हुई है। हालांकि, मेरा मानना है कि जो केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी हैं या सरकारी क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारी की आए तो जस की तस होगी, क्योंकि उन्हें उतना ही वेतन मिला होगा। आय में कमी अन्य असंगठित क्षेत्र और व्यापार, व्यवसाय, करने वाले क्षेत्र के लोगों में हुई होगी। फिर भी हम पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी दर की बात करें तो यह दर 23.5 प्रतिशत तक चली गई थी जो एक रिकॉर्ड स्तर था। हालांकि, स्वभाविक ही हैकि पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा हुआ था, जिसके कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हुई थी।....बात अगर हम इस सीएमआईई रिपोर्ट और वर्तमान दूसरी लहर से उत्पन्न राज्यों में लॉकडाउन से बाधित अर्थव्यवस्था की करें तो, स्वाभाविक रूप से पहले से ही उम्मीदथी कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना है और अभी एक जून 2021 से अनलॉक होने से अर्थव्यवस्था में ज़रूर सुधार होगा। परंतु अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वित्त मंत्रालय को रणनीतिक रोडमैप बनाना ज़रूरी है। क्योंकि जीडीपी संकुचन, बेरोजगारी, बचत सूजन, जैसे काफी मुद्दों को हल करना सामान्य परिस्थितियों में आसान नहीं है। इसलिए इसके लिए रणनीति बनाकर बूस्ट देना होगा। कुछ इन्सेंटिव योजनाएं लागू करनी होगी ताकि अर्थव्यवस्था का चक्र तेजी से घूमे। अभी लॉकडाउन में लाखों लोगों ने अपने घर जमा पूंजी, पीपीएफ, बैंक इत्यादि से नगदी निकालकर अपना जीवन चक्र चलाया है। जिसमें अधिकतम लोग अभी खाली हो गए हैं। पैसे का सृजन करने के लिए कोई स्कीम देनी होगी।....बात अगर हम हमारे पीएम के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था 2024 - 2025 तक लाने के स्वपन और संकल्प की करें तो जज्बा, संकल्प और विश्वास मन में हो तो हम ज़रूर कामयाब होंगे। और सब मिलकर कड़ी मेहनत कर, अर्थव्यवस्था के चक्कर को तेजी से घुमाने मैं सहयोग कर, अपने टारगेट पर पहुंचा सकते हैं। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो अभी कोविड-19 से हम अनलॉक हुए हैं और अर्थव्यवस्था को मजबूत करनेके लिए जीडीपी संकुचन, बेरोजगारी, बचत सूजन, से निपटने रणनीतिक रोडमैप बनाना और भारत को साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने समूचे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना होगा।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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