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विशेषज्ञों का मानना है अर्थव्यवस्था की तुलना में मानव जीवन ज्यादा कीमती - आम सहमति से सुनियोजित, पूर्वघोषित रणनीति अंतिम विकल्प - एड किशन भावनानी
गोंदिया - कोरोना महामारी की इस भयंकर तबाही ने पूरे विश्व को झकझोर दिया है। करीब-करीब हर देश इस महामारी की पीड़ा से कराह उठा है। लॉकडाउन, वैक्सीनेशन दिशानिर्देशों के बल पर कुछ देशों ने इसके असर को कम भी किया है, कुछ देश इस विभिशक्ता से उबरने की मंजिल तक पहुंचने के अंतिम स्तर के पड़ाव पर हैं।...बात अगर हम भारत की करें तो हमारे देश में कोरोना महामारी की विभिषक्तता अपने पीक स्तर पर है और विशेषज्ञों द्वारा इस दूसरी लहर को तीसरी लहर में तब्दील होने की आदेश आत्मक संभावनाएं जारी की जा रही है और इस पर नियंत्रण के लिए तेजी से सक्रिय उपायों में जुट गए हैं। शनिवार दिनांक 8 मई 2021को माननीय प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों से महामारी की स्थिति, संसाधनों की उपलब्धता और तैयारियों का जायजा लिया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। शनिवार 8 मई 2021 को ही 27 देशों के यूरोपीयन परिषद में वर्चुअल बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में हिस्सा लिया जिसमें भारत को कोविड महामारी से निपटने और स्वास्थ्य देखभाल के बारे में सतत मदद देने का भरोसा दिया गया और विकास आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की बात कही गई। उधर कोरोना महामारी में विश्व व्यापार संगठन में भी भारत और साउथ अफ्रीका ने अक्टूबर 2020 से वैक्सीनेशन के पेटेंट सीमित अवधि के लिए सस्पेंड करने की पहल की है। जिसे अमेरिका, रूस सहित करीब करीब 100 देशों का समर्थन हासिल किया है और प्रक्रिया शुरू है। हालांकि कोरोना महामारी से निपटने भारत राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, डब्ल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र संघ हर स्तर पर कार्य कर रहा है और महामारी से जीतने अंतरराष्ट्रीय मेडिकल संसाधनों सहित पूरी ताकत झोंक दी है और रात दिन सक्रिय है।..बात अगर हम भारत सरकार की राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने में सकारात्मक पहलू पर अर्थव्यवस्था आर्थिक हानि, मजदूरों के पलायन, जनता को होने वाली असुविधा इत्यादि अनेक मुद्दों और पहलुओं, बिंदुओं पर झुकाव के कारण सॉफ्ट रुख अपनाए हुए है। हालांकि भारत सरकार की नीति आयोग के एक सदस्य ने भी राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने का समर्थन किया है। हालांकि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाने का अधिकार विकेंद्रित कर राज्य सरकारों पर रखा है और अधिक पीड़ित राज्य अपने-अपने स्तर पर पूर्णलॉकडाउन, आंशिक लॉकडाउन, रात्रि कालीन लॉकडाउन रात्रिकालीन कर्फ्यू ,2 - 4 - 7 दिन लॉकडाउन इत्यादि अनेक नीतियां अपने हुए हैं।...बात अगर हम देश के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए ), कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस), सुप्रीम कोर्ट, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंथनी एस फौसी, कांग्रेस के युवा नेता के पत्र इत्यादि अनेक क्षेत्रों से केंद्रीय नेतृत्व पर राष्ट्रीय लॉकडॉउन लगाने के सुझाव दिए जा रहे हैं। परंतु शुरू से ही माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने आम जनता के नाम संबोधित में कहा था कि वह इसके पक्षधर नहीं हैं। इन अधिकारों का विकेंद्रीकरण राज्य सरकारों को कर दिया गया है और परिस्थितियों के अनुसार इस पर निर्णय लेने की राज्यों को पूर्ण सूट है।..बात अगर हम उपरोक्त संस्थाओं की करें तो शनिवार दिनांक 8 मई 2021 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने 2 पृष्ठों के पत्र में कहा कि यह विनाशकारी संकट से निपटने का समय है। पिछले 20 दिनों से भले ही कुछ राज्यों में 10-15 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है मगर आईएमए ने इसके बजाय सुनियोजित पूर्वघोषित पूर्णरूप से राष्ट्रीय लॉक डाउन लगाने की जरूरत पर जोर दे रहा है।पूर्व घोषित इसलिए ताकि स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने, सामग्री और जनशक्ति जुटाने के लिए थोड़ा वक्त मिल सके। यह राष्ट्रीय लॉकडाउन कोरोना महामारी के विनाशकारी फैलाव की श्रंखला को तोड़ देगा। आईएमए ने कहा मानवजीवन अर्थव्यवस्था से ज्यादा कीमती है और राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने संबंधी सामूहिक चेतना की अपील और सक्रिय संज्ञान की बात भी कही। वहीं व्यापारियों की शीर्ष संस्था कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी महामारी को नियंत्रित करने के लिए देशव्यापी आह्वान किया है शीर्ष व्यापारी संघ ने दावा किया है कि उनके ऑनलाइन सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 67 प्रतिशत लोगों ने ट्रांसमिशन की सीरीज को तोड़ने के लिए एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का समर्थन किया है और पीएम से तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय लॉकडाउन लागू करने का पीएम से अनुरोध किया है। उधर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर ने भी तुरंत प्रभाव से राष्ट्रीय लॉकडाउन की बात प्रेस वार्ता में कही है। हाल ही में देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने भी महामारी पर लिए गए स्वतःसंज्ञान में केंद्र सरकार से राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने संबंधी सवाल पर जवाब तलब किया है।..बात अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर की करें तो अमेरिकी प्रशासन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंथनी फ़ौसी ने भी पिछले दिनों एक अंग्रेजी दैनिक अखबार को इंटरव्यू में कहा था कि भारत को तत्काल रुप से इसकी स्थिति से निपटने, देश को कुछ समय के लिए लॉकडाउन लगाने की जरूरत है और टीकाकरण अभियान को औेर तेज करने की जरूरत है तभी हालात काबू में आएंगे। उधर प्रमुख विपक्षी पार्टी के युवा नेता ने भी दिनांक 8 मई 2021 को अपने ट्विटर अकाउंट से कहा है कि केंद्र सरकार संपूर्ण लॉकडाउन लगाए और गरीबों को आर्थिक मदद की बात भी कही। पूर्व में भी माननीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर इस तरह की मांग की गई थी। अतः उपरोक्त पूरा विवरण और भारत के प्रमुखविशेषज्ञ डॉक्टरों, पेशेवरों, अंतर्राष्ट्रीय वक्तव्य इत्यादि सभी बातों पर गंभीरता से विचार करें और संक्रमितो के लगातार रोज बढ़ते विशाल आंकड़े को देखकर हम कह सकते हैं कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से फिर एक बार पुनर्विचार कर, सक्रिय संज्ञान लेकर, सामूहिक चेतना की अपील और अर्थव्यवस्था की तुलना में मानव जीवन का ज्यादा कीमती होने को ध्यान में रखकर, सुनियोजित पूर्वघोषित रणनीति बनाना होगा।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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