नया सबेरा नेटवर्क
देश को कोरोना से बचाएंगे,
कोरोना - मुक्त देश बनाएंगे।
खौफनाक मंजर ये तबाही का,
वायरस को धूल हम चटाएंगे।
शर्त है कुछ दिन तू घर में रहो,
तब इस मंजर को बदल पाएंगे।
ताले लटक रहे कारखानों में,
हम उसे जल्दी खोल पाएंगे।
छुट्टे सांड-सा घूम रहा वायरस,
मुल्क-ए-अदम उसे पहुँचाएंगे।
ठप्प पड़ा पूरा ग्लोबल मार्केट,
बाज़ार की वो रौनक बढ़ाएंगे।
दुःख बहुत है जो हुए अलविदा,
अब इस कायनात को बचाएंगे।
टूटी जो शाखें इन आँधियों में,
वो बिखरे घोंसले हम सजाएंगे।
डॉक्टर्स, नर्स फ़रिश्ते के जैसे,
उनका यशगान भी हम गाएंगे।
चुरा रहे सांस जो लोगों की,
उन्हें जेल की हवा खिलाएंगे।
बिना मास्क नहीं महफूज कोई,
एहतियाती कदम भी उठाएंगे।
वैक्सीनेशन का काम है जोरों पे,
बचे लोग भी टीका लगवाएंगे।
जीत लेंगे ये जंग मिलकर हम,
होली - ईद मिलके मनाएंगे।
मस्ती में खोयेंगे फिर सारे शहर,
गाँव के रस्ते भी इठलाएंगे।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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