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मुंबई: रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के पूर्व कुलपति तथा महान गणितज्ञ प्रोफेसर शोभनाथ दुबे, विद्वान होने के साथ-साथ आध्यात्मिक जगत के श्रेष्ठ साधक भी थे। उनका संपूर्ण जीवन एक साधना की तरह रहा। डॉक्टर सोमनाथ दुबे की स्मृति में आयोजित शोक सभा में अपने विचार व्यक्त करते हुए मुंबई के साहित्यकार डॉ नागेश पांडे ने उपरोक्त बातें कहीं। कोरोना संक्रमण के चलते ऑनलाइन आयोजित शोक सभा में देश के अनेक प्रकांड विद्वानों तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने स्व.शोभनाथ दुबे को एक महान तथा प्रेरणादायक व्यक्तित्व की संज्ञा दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के बी पांडे ने की । प्रमुख वक्ताओं में डॉ राजेंद्र मिश्र -भूतपूर्व कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ,डॉ बी पांडे -कुलपति ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट ,प्रोफेसर रतन लाल गोदरा -कुलपति वर्धमान विश्वविद्यालय कोटा ,डॉ योगेश चंद्र दुबे -कुलपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट ,डॉ ज्ञानेंद्र त्रिपाठी -प्रोफेसर एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा ,डॉ देवेंद्र त्रिपाठी -निदेशक क्षेत्रीय ललित कला केंद्र लखनऊ ,डॉ राम शंकर जी -बीएचयू, श्री बाल रूप मिश्र -भूतपूर्व एसडीएम ,डॉ नागेश -निदेशक नेचुरा हेल्थ फार्मास्यूटिकल मुंबई ,प्रोफेसर विजय कुमार पाठक- कुलपति कोटा विश्वविद्यालय, एडवोकेट जयेन्द्र दुबे , विकास मिश्र, विनोद मिश्र, विजय शंकर शर्मा, वीरेंद्र सिंह विष्णु शर्मा ,डॉ. विवेकानंद त्रिपाठी, विनोद तनेजा तथा विवेकानंद पाठक ने विचार रखे। कार्यक्रम के संयोजक जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अविनाश चंद्र मिश्र ,डॉ नागेश पांडे तथा डॉ विजय शंकर शर्मा थे। अंत में स्व. शोभनाथ दुबे के पुत्र न्यायाधीश कमलेश दुबे ने समस्त लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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