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डा. एसबी तिवारी से ‘तेजस टूडे’ टीम के साथ हुई खास बातचीत का अंश
अखिलेश श्रीवास्तव
लखनऊ। कहा जाता है कि विपत्ति काल में ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की परीक्षा होती है। आज सचमुच में कल्याणम सेवा संस्थान के एम.डी अपना कल्याणम परिवार के माध्यम से पूरे भारत को एक परिवार में बांधने के लिए कृत संकल्पित लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड से सम्मानित विश्वविख्यात गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. एसबी तिवारी मानवता के लिए सचमुच में एक मिसाल है। आपके बारे में जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम है। समय-समय पर लोगों की सेवा वह चाहे निःशुल्क चिकित्सा शिविर के रूप में हो, दिव्यांगों के सम्मान के रूप में हो, जनजागरूकता अभियान द्वारा लोगों को जागरूक करने का हो, गुर्दा रोग के मरीजों को दिशा निर्देश देने की बात हो, देश विदेश में ऐसे असहाय आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निःशुल्क दवा भेजने की बात हो, अपनी रचनाओं द्वारा समाज को दिशा देने की बात हो, योग अथवा अध्यात्म द्वारा अपनी भारतीय संस्कृति की रक्षा की बात हो सभी जगह डा. एसबी तिवारी बिल्कुल ढाल की तरह खड़े रहते हैं। अगर इस कोरोना काल की बात की जाए तो डा. तिवारी जी आए दिन लोगों को मास्क, वस्त्र व दवा भेजते रहते हैं। क्लीनिक पर आने वाले लोंगों में अगर आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो उन्हें निःशुल्क दवा देते हैं। गरीबों को खिलाना वस्त्र देना आर्थिक रूप से सहयोग करना चिकित्सा निःशुल्क देना यह सब इनके मुख्य कार्य हैं। ऐसे व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति का सचमुच में समाज हमेशा ऋणी रहेगा। उन्होंने बताया कि बहुत ऐसे मरीज हैं जिनके पास पैसा नहीं होता है, उन्हें निःशुल्क दवा व परामर्श के साथ कभी-कभी उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान भी कर देते हैं। उन्होंने बताया कि देश के कोने-कोने में उनके शुभचिंतक उनसे सदैव परामर्श एवं सहायता लेते हैं। यहां तक की बहुत ऐसे भी हैं जो वाकई बहुत ही कमजोर व असहाय हैं, उनके पास कोरियर के लिए भी पैसा नहीं है तो उनकी दवा को कोरियर से ही भिजवा देते हैं। ऐसे संकट की घड़ी में मानवता के प्रति समर्पित डा. तिवारी से मिलकर जो अनुभव प्राप्त हुआ, वह वाकई अत्यंत प्रेरणास्रोत हैं।
कोरोना के इलाज के संदर्भ में उन्होंने जो अनुभव शेयर किया, वह वाकई बहुत प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने बताया क होम्योपैथी की दवाएं कोरोना ब्लैक फंगस एवं वाइट फंगस के लिए बहुत कारगर साबित हो सकती हैं। यह दवाएं बचाव के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। साथ ही अगर एलोपैथिक दवाओं के साथ सिस्टमैटिक तरीके से होम्योपैथी की दवाएं चिकित्सक के परामर्श से चलाई जाएं तो मरीज को चमत्कारिक परिणाम देखने को मिल सकता है, क्योंकि होम्योपैथी बीमारी की जड़ में जाकर उसे ठीक करने की क्षमता रखती है लेकिन बहुत ही निराश होकर उन्होंने जो अपने मन की बात कही, वह वाकई सोचने वाली है। उन्होंने कहा कि हमने शासन, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि होम्योपैथी दवाओं को भी कोरोना के लिए मान्यता दिलवाई जाय लेकिन अभी तक उनकी बातें किसी ने नहीं सुनी जबकि वह प्रमाणित करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने बताया कि करोना के इलाज में उन्होंने सैकड़ों मरीजों को जीवनदान दिया और बहुत चमत्कारी सफलता प्राप्त भी हुई जिसका सैकड़ों मरीज प्रमाण हैं। उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक की दवाई अगर कोरोना वायरस मरीजों को सावधानीपूर्वक दिया जाए तो 8 से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट निगेटिव हो सकती है और कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा जो आज ब्लैक फंगस व व्हाइट फुंगस के रूप में देखने को मिल रहा है।
ब्लैक फंगस के लिए भी होम्योपैथी की दवाएं बहुत ही कारगर है। अगर इस महामारी में इसके साथ सरकार इमानदारी से पेश आये तो भारत को कोरोना वायरस से मुक्त करने में होम्योपैथी का एक अहम योगदान साबित हो सकता है। उन्होंने अपना कल्याणम परिवार के माध्यम से पूरे देश भर में समाज के हर तरह के लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है, वह चाहे चिकित्सक हो, व्यवसायी हो, किसान हो, समाजसेवी हो या समाज के किसी भी वर्ग के व्यक्ति हो। कल्याणम परिवार से जुड़कर आप भी औरों की सहायता कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर किसी को इस संकट की घड़ी किसी तरह की कोई आवश्यकता महसूस होती है तो अपना कल्याणम परिवार उस क्षेत्र के अपने पूरे परिवार के साथ उसकी पूरी सहायता करता है। उनका मानना है कि ऐसे ही अगर पूरा भारतवर्ष एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा का भाव रखने के लिए कृत संकल्पित हो जाए तो ऐसे कोरोना या कोई भी महामारी हमारे यहां टीक नहीं पाएगी।
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