नया सबेरा नेटवर्क
चित्रगुप्त के लेखे में....
सबसे ज्यादा आमद...!
अस्पतालों से थी
आंकड़ों की वास्तविकता...!
जानने के लिए वास्ते...
यमराज ने किया...
पृथ्वीलोक के अस्पतालों का सघन भ्रमण...
गुजारे कई दिन
शोध किया... तो पाया कि
प्रशासन... व्यवस्था का "सूर्य"
समुद्र मंथन कर...
अमृत कलश "ऑक्सीजन"..
निकाल पाया है...
सकल समाज की गीध दृष्टि
इसी अमृत कलश पर है
नीच का मंगल अपने अमंगलकारी रूप में है
व्यापारी बुध......!
एंबुलेंस,शव वाहन में भी
मोल भाव करा रहा है
लिम्सी, रेमडीशीवर तो क्या..!
पंचतत्व के सभी अवयवों की...
कालाबाजारी करा रहा है
भगवान बृहस्पति के शिष्य गण
धरती के भगवान..."डॉक्टर्स"...
अमृत कलश की...
बंदरबाँट में लगे हुए हैं..।
शुक्र तो अस्त है...!
प्रेम भाव लुप्त है ...
शनि की वक्र दृष्टि के कारण...
लोग आपदा में अवसर ढूँढ...
अपना मुँह और पेट बढ़ाये हुए हैं..
राहु और केतु....!
वेंटिलेटर और आई सी यू पर..
कुण्डली मारे बैठे हैं...!
एक अकेली पुलिस...
अपने स्वभाव के विपरीत
खाट से घाट तक..
संवेदना की घुट्टी पिलाकर
चंद्रमा सी...
शीतलता प्रदान कर रही है..
ऐसी दुर्दशा देख...
सोचने पर विवश हैं...
यमराज....कि...
विधाता ने...सृष्टि के रचयिता ने..!
सुंदर संसार रचा...
उसके सातत्य के लिए
गढ़ी माया....
सुख-दुःख,आफ़त- विपत
भलाई-बुराई फैलायी ताकि....
जगत लोकाभिराम रहे..!
चल पड़ी थी सृष्टि ...
सफल रहे विधाता..."ब्रह्मा"..!
पालनकर्ता की
परवरिश में ही दोष है...
नियम सिखा नहीं पाए..
नियंत्रण कर नहीं पाए..
नीयत सुधार नहीं पाए...
कुल मिलाकर...
वानर को अभी तक नर...!
बना नहीं पाए...
धीरे - धीरे...
नयन नीर सब बह गए...
नयन नीर सब वह गए...
माथे हाथ रख...
कुटिल मुस्कान दे...
बोले यमराज....
ऐसे में तो....
इस पृथ्वी लोक पर
शिव तांडव ही करेंगे..!
शिव तांडव ही करेंगे...!
कहते हैं न....
जैसी नीयत वैसी बरकत
फिर इस धरा पर...
किस बात का.....!
सत्यम शिवम सुंदरम
किस बात का....!
सत्यम शिवम सुंदरम...!!
रचनाकार :
जितेंद्र कुमार दुबे
पुलिस उपाधीक्षक जौनपुर
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