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बिगड़े हालत को समझाना है,
क़ातिल हवाओं से बचाना है।
वायरस घूम रहा है गली-गली,
जल्द से जल्द काबू पाना है।
डरो नहीं बल्कि दूरी बनाओ,
ऐसे तूफां से टकराना है।
बिना मास्क के बाहर न निकलो,
आगे दुनिया से हाथ मिलाना है।
हारेगा कोरोना, हौसला रखो,
ख्वाबों में भी मुस्कुराना है।
देखो लापरवाही कभी न करना,
एहतियाती कदम भी उठाना है।
आँक्सीजन की न हो जमाखोरी,
उखड़ती दमों को बचाना है।
मिलेगा चाँद फिर रस्ते में,
कुंवारी चाँदनी में नहाना है।
जुहू - चौपाटी पे सजेंगे मेले,
तन्हाई से पीछा छुड़ाना है।
रोज मौत का खर्च कौन उठाये,
मिलकर कोरोना को हराना है।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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