कई किरदार हैं मेरे


कई किरदार हैं मेरे
| #NayaSaberaNetwork
नया सबेरा नेटवर्क

कई किरदार है मेरे। 
कई नामों से बुलाते हैं मुझे
कहीं आंखों में नमी,कहीं होठों पर मुस्कान है मेरे।
अपना सर्वस्व न्योछावर करना ही सिखाया गया मुझे।
हर पल हर कदम बस आजमाया गया मुझे।

कई किरदार है मेरे,
बचपन से येही सिखाया गया मुझे।
बिखरे मोतियों को पिरोना ही बताया गया मुझे।

कई किरदार है मेरे।
किसी की मां बनी, 
किसी की बेटी,
किसी की पत्नी बनी,  
कहीं पर आदर्शवादी बहू बनाया गया मुझे।
लोक लाज की परवाह करो,
बचपन से ही यही पढ़ाया गया मुझे।

कई किरदार है मेरे।
कहीं ममता की मूरत,
कहीं देवी जैसी पूजनीय बताया गया मुझे।
कहीं कुलक्षिणी, कहीं,
कलंकिनी के नाम से बुलाया गया मुझे।

कई किरदार है मेरे।
ढेरों यातनाओं के तले दबाया गया मुझे।
तुम स्त्री हो पुरुष के आधीन,
प्रतिक्षण बस यही जताया गया मुझे।

क्या यही किरदार है मेरे।
मुझसे भी तो कोई पूछे,
की आखिर क्या किरदार हैं तेरे।



(सर्वाधिक सुरक्षित स्वरचित मौलिक रचना)
रचनाकार- सपना मिश्रा अध्यापिका 
महाराष्ट्र


from NayaSabera.com

Post a Comment

0 Comments