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तहसीलदार ने खुली बैठक कर ली पट्टेदारों की जानकारी
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय तहसील के कटाहित गाव में पट्टे का मामला एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। गांव के ही कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद की विनियमन समीक्षा समित के पास शिकायत किया कि गांव में सरकारी जमीन का पट्टा उन लोगों को मिला है जो इसके पात्र नहीं है। उनका पट्टा निरस्त होना चाहिए। इसको ध्यान रखते हुए शासन ने गांव में हुए आवासीय पट्टे की जानकारी मांगते हुए रिपोर्ट तहसील प्रसाशन से प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश को 28 दिसम्बर को देने को कहा है। तहसीलदार अमित त्रिपाठी ने बताया कि गांव में सन् 1992 में 73 लोगों को 1996 में 64 लोगों को और 1995 में 15 लोगों का आवासीय पट्टा दिया गया था। गांव के ही कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश शासन से इस बात की शिकायत की थी कि गांव में जिन लोगों का पट्टा किया गया है, उनके सबके पक्के मकान हैं। कई लोगों की सरकारी नौकरियां भी हैं। उसके बाद भी गलत तरीके से एक ही जाति के अधिकांश लोगों को पट्टे दे दिए गए हैं। शिकायत की जांच के लिए शासन ने तहसीलदार और उपजिलाधिकारी को जांच करके आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उपजिलाधिकारी के निर्देश पर तहसीलदार अमित त्रिपाठी ने गांव में लेखपाल व कानूनगो की टीम के साथ खुली बैठक की सभी पट्टेदारों को बुलाकर सभी की जानकारी इकट्ठा की और इसकी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दिया है। पूछने पर उपजिलाधिकारी अंजनी सिंह ने बताया कि पट्टा आवंटन में धांधली की शिकायत शासन से की गई थी। अब इसकी रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई है। जो भी अपात्र लोग हैं, उनके पट्टे निरस्त किए जाएंगे और पट्टा देते समय उन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी जिन्होंने अपात्र लोगों को पट्टा दिया था। इधर पट्टे की जांच को लेकर लोगों में खलबली मची हुई है। लोगों में इस बात को लेकर धङकन बड़ गयी कि जो आपात्र हैं, उनका क्या होगा।
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