डोभी सीएचसीः अपनी गुणवत्ता से निजी अस्पतालों को दे रहा मात | #NayaSaberaNetwork

नया सबेरा नेटवर्क
डोभी, जौनपुर। आम तौर पर संपन्न लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने से कतराते हैं। कारण यह है कि अपनी लचर कार्य प्रणालियों के चलते सरकारी अस्पताल प्रायः बदनाम हैं। लोगों की धारणा यह है कि यहां कर्मचारी कामचोर, अव्यवहारिक होते हैं तो वहीं अस्पताल परिसर में कूड़े और गंदगी का अंबार होता है। इन सारी धारणाओं से इतर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर जनपद के पूर्वी छोर पर स्थित डोभी ब्लाक का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरीबारी अपनी साज-सज्जा एवं उत्कृष्ट चिकित्सकीय गुणवत्ता का ऐसा अस्पताल है जहां आते ही लोगों की सोच बदल जाती है। शासन द्वारा इस अस्पताल को भी वहीं सुविधाएं प्राप्त हैं जो सूबे के अन्य अस्पतालों को मिली है किंतु डोभी सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. एसके वर्मा व बड़े बाबू मनोज सिंह की लगन एवं परिश्रम से यहां सब कुछ इतना बेहतर है। यहां की ओपीडी अत्यंत आधुनिक एवं गुणवत्ता से परिपूर्ण है। यहां भर्ती मरीजों की देख-रेख जिम्मेदारी के साथ होती है तो वहीं महिलाओं के प्रसव का आंकड़ा भी पूरे जिले में सबसे बेहतर है। अस्पताल के चिकित्सकीय टीम एवं कर्मचारियों के लगन का परिणाम है कि डोभी सीएचसी को लगातार 3 वर्षों से कायाकल्प अवार्ड देकर पुरस्कृत किया जा रहा है। यहां अन्य अस्पतालों में शोषण व लापरवाही के कारण आये दिन हंगामा होता है। साफ सफाई एवं चिकित्सकों की लापरवाही सरकारी अस्पतालों की छवि खराब की है। ऐसे में इस अस्पताल के डाक्टर एवं कर्मचारी पीड़ित मरीजों के दर्द का मरहम बन गये हैं। अस्पताल के अधीक्षक डा. एसके वर्मा व बड़े बाबू मनोज सिंह के कुशल निर्देशन में यहा हर व्यवस्था चाक चौबंद है। इन लोगों की लगन व मेहनत का आलम यह है कि सरकारी व्यवस्था के अतिरिक्त क्षेत्रीय लोगों से सहयोग लेकर यहां सुंदर गार्डेन, मार्निंग फूटवाक से लेकर ईंट और सीमेंट से बैरिकेटिंग एवं फर्श बनवाए गये हैं।
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अस्पताल की चहारदीवारी नहीं होने का है मलाल
अपनी साज सज्जा एवं उच्चस्तरीय चिकित्सकीय व्यवस्था के चलते दर्जनों अवार्ड जीत करके सूबे में अलग पहचान रखने वाले इस अस्पताल की बाउंड्रीवाल आज भी अधूरी है। यहां अनेक अवसरों पर पहुंचने वाले उच्च अधिकारियों से लेकर सांसद, विधायक आदि सभी ने बाउण्ड्रीवाल बनवाने का आश्वासन तो दिया फीता काटकर वापस जाने के बाद अपना वादा भूल गये हैं। अस्पताल कर्मियों से लगायत क्षेत्रवासियों को इस बात का मलाल है कि चहारदीवारी के अभाव में जंगली एवं आवारा पशु यहां खिले फूलों की क्यारी को नष्ट कर देते हैं। वहीं नशेड़ी व अवांछनीय तत्व यहां आए दिन मरीज व उनके तीमारदारों की परेशानी का सबब बनते हैं। बाउंड्री के अभाव में अस्पताल की सुरक्षा का खतरा बना रहता है  वहीं पूरे प्रदेश में नंबर एक का अवार्ड पाने के लिए जहां 100 नंबर पाने की जरुरत होती है। वहीं डोभी सीएचसी बाउंड्री के अभाव में 10 अंक से पीछे रहकर 90 अंक में ही फाइट कर लगातार 3 बार कायाकल्प योजना में अवार्ड पाकर जिले का नाम रोशन कर रहा है। यदि इस अस्पताल को बाउंड्रीवाल मिल जाता है तो निश्चित रूप से जनपद का सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पूरे सूबे में अपनी अलग पहचान बनाएगा।

उपचार का आंकड़ा
20 अप्रैल से 30 नवम्बर 2020
ओपीडी- 36000
पुराने मरीजों का इलाज- 19578
भर्ती मरीजों की संख्या- 177
इमरजंसी में देखे गये मरीज- 3152
चिकित्सकीय परीक्षण- 916
सुरक्षित प्रसव- 1256
नसबंदी- 115
बच्चों का टीकाकरण- 3973
गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण- 3778


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