नया सबेरा नेटवर्क
अमित शुक्ला
मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर। भगवान के 24 अवतार है इन अवतारों की कथा का विस्तार ही श्रीमद्भागवत महापुराण है। भगवान की भक्ति ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। यह बातें नगर के कटरा मोहल्ले में स्थित सृष्टि पैलेस में आयोजित 10 दिवसीय भागवत कथा में शुक्रवार की शाम पुष्कर धाम से पधारे पूज्य संत महामंडलेश्वर दिव्य मोरारी बापू ने श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए कही।
श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा नैमिषारण्य की पावन धरती पर ऋषियों ने सूत जी महाराज से छह प्रश्न किया। पहला समस्त शास्त्रों का सार क्या है, दूसरे में भगवान के अवतार का क्या प्रयोजन है, तीसरे में मानव जीवन का क्या ध्येय है, चौथे में अवतार लेकर भगवान क्या करते है, पांचवें में भगवान के कितने अवतार हुए, छठवें भगवान के परमधाम गमन के बाद धर्म किसकी शरण में जाता है। सूतजी ने बताया कि समस्त शास्त्रों का सार भगवान का नाम है। भगवान के अवतार का प्रयोजन सज्जनों की रक्षा है। मानव जीवन का परम लक्ष्य भगवान की भक्ति है। अवतार लेकर भगवान धर्म की स्थापना एवं दुष्टों का विनाश करते है। भगवान के 24 अवतार है। भगवान के परमधाम गमन के बाद धर्म शास्त्र की शरण में चला जाता है।
मंच का संचालन करते हुए स्वामी घनश्याम दास जी महाराज ने कहा कि ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है और सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। 18 पुराण, महाभारत, उपनिषद शास्त्र आदि ग्रंथ लिखा है। आप जीवन भर पढ़े तब भी नहीं पढ़ सकते इसलिए वेद ब्यास जी भगवान के अवतार कहे गए। विदुर जी ने पांडवों की सहायता की, लाक्षागृह षड्यंत्र के द्वारा दुर्योधन पांडवों को मारना चाहता था लेकिन विदुर जी युक्तियों के द्वारा पांडवों की रक्षा किया। मुख्य यजमान पूर्व चेयरमैन कपिलमुनि व सुरेश सोनी है। कथा में मुख्य रूप से कृष्ण गोपाल जायसवाल, राजेश गुप्ता, ओंकार मिश्र, राजकुमार गुप्ता सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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