नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। पैगंबर—ए—इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.अ.व. के (तौहीन आमेज़) आपत्तिजनक कार्टून बनाने वाली पत्रिका का फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैंक्रॉ का अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर समर्थन करना इस्लाम व समाज विरोधी मानसिकता का परिचायक है ऐसी भावनाएं सामाजिक एकता को तोड़ने वाली है वहीं धर्म के प्रति अपमानजनक मानसिकता का परिचय कराती हैं।
फ्रांस की एक पत्रिका के द्वारा पैगंबर—ए—इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.अ.व. का कार्टून छापना जहां गलत है वहीं उसके बाद की जो घटना है उसका कतई समर्थन नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस्लाम में एक निर्दोष की हत्या को पूरे मानवता की हत्या करार दिया है लेकिन बार-बार इस तरह की घटना करके इस्लाम और उनके मानने वालों के दिल को ठेस पहुंचाना भी एक साजिश है ऐसे लोगों को डेनमार्क के कार्टूनिस्ट की हुई खौफनाक मौत से सबक लेना चाहिए। यह बातें मुस्लिम यूथ ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष, मरकज़ी सीरत कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष, सपा व व्यापारी नेता आरिफ हबीब ने कही।
उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल स.अ.व. को अल्लाह सबसे ज़्यादा मानते हैं और अल्लाह के प्यारे रसूल के खिलाफ आपत्तिजनक काम करने वालों को अल्लाह खुद सज़ा देगा, और जब ईश्वर सजा देगा तो कोई बचा नहीं सकता है। हम आलम ए इस्लाम से यह गुजारिश भी करेंगे कि ऐसी साजिश का जवाब अल्लाह और अल्लाह के रसूल के बताए हुए रास्ते पर चलकर के ही दिया जा सकता है।
आरिफ हबीब ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले फ्रांस में एक टीचर द्वारा स्टूडेंट्स को क्लास में पैगम्बर हज़रत मोहम्मद स0अ0व0 का कार्टून दिखाने पर एक स्टूडेंट ने उस टीचर की हत्या कर दी थी।
“फ्रांस में जो घटना हुई वह बहुत दुखद है इसकी शुरुआत एक पत्रिका ने हजरत मोहम्मद (स.अ.व.) साहब के कार्टून बनाने से की। मेरा मानना है कि ऐसा काम पत्रकारिता नहीं है, यह कला नहीं है, यह खुराफात है। किसी भी धर्म के पैगंबर, देवता, महापुरुष का कार्टून बनाना और उनका मजाक उड़ाना बिल्कुल गलत बात है लेकिन इसके बाद जो हुआ वह भी गलत है, ऐसे समय में बहुत सावधानी और समझदारी से जवाब दिया जाना चाहिए। मैं समझता हूं कि बुराई का जवाब भलाई से दिया जाना चाहिए। नबी स.अ.व. ने अपनी पूरी ज़िन्दगी में यही सिखाया है कि बुराई का जवाब बुराई से नहीं बल्कि भलाई से दो, अगर आग से आग को बुझाएंगे तो वो और भड़केगी। हमें आप स.अ.व. की शिक्षाओं को समझने और जीवन में उतारने की जरूरत है। अगर फ्रांस में या दुनिया के किसी भी देश में इस घटना का विरोध भलाई के काम से किया जाता तो कार्टून बनाने वाले खुद की हरकतों पर खुद ही शर्मिंदा होते।”
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