"माटी का दीया कहता है, उठो और संघर्ष करो | #NayaSaberaNetwork

नया सबेरा नेटवर्क
सादर नमन मंच।
दिनांक १०/११/२०२०
विषय- माटी का दीया क्या कहता है
विधा- कविता
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"माटी का दीया कहता है
उठो और संघर्ष करो।
डरो नहीं तकलीफों से
खोज निकालो तुम राहों को
अंधियारों को दूर भगाओ
मन में भरलो सुंदर चाहों को।
माटी का दीया कुछ कहता है
संग जीवन के वह रहता है।
जग में प्रकाश फैलाने को
वह भी तकलीफें सहता है।
माटी का दीया कुछ कहता है
संघर्षों में अडिग रहा जो
वह सुपात्र बन जाता है।
अच्छी सफल कहानी उसकी
वह जग में प्रकाश फैलाता है।
रौशन करता अखिल विश्व को
वह जीवन का है प्रतीक।
धैर्य रखो और जलो दीप सा
दीये की सब बातें हैं बड़ी सटीक।


स्वरचित, मौलिक
- डॉ मधु पाठक, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।

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