नया सबेरा नेटवर्क
बिहार। जदयू के वरिष्ठ वैश्य नेता राजा चौधरी का 2020 का विधानसभा चुनाव अभियान अभूतपूर्व सफल साबित हुआ। एनडीए के वरिष्ठ नेता के तौर पर इस चुनाव में वे स्वयं चुनाव लड़ना चाहते थे परंतु सीट बंटवारे के पेंच में वे चुनाव नहीं लड़ सके। जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के ऊपर चौतरफा भितरघाती हमला शुरू हुआ। गठबंधन बैकफुट पर नजर आने लगी और गठबंधन को एक वरिष्ठ वैश्य नेता तथा रणनीतिकार की जरूरत आन पड़ी तो राजा चौधरी ने इन समस्याओं के समाधान निकालने का बीड़ा उठाया और अपना निजी मास्टर प्लान बनाया। उन्होंने देश भर के विभिन्न राष्ट्रीय वैश्य और व्यावसायिक संगठनों के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से सम्पर्क कर उनको बिहार आमंत्रित किया और उन सभी को बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव के प्रचार-प्रसार के काम में लगाया। वे खुद उन सभी के साथ बिहार के सभी जिलों में भ्रमण कर वैश्य और व्यावसायिक समाज के लोगों को गोलबंद कर उनको एनडीए के पक्ष में वोटिंग करने और करवाने को प्रेरित किया। साथ ही हर वैश्य समाज के प्रत्याशियों को हर संभव सहायता और सहयोग कर एनडीए के पक्ष में एक साइलेंट अंदरूनी माहौल पैदा कर दिया जिससे एनडीए को काफी फायदा हुआ। हालांकि कोरोना काल के विभीषिकाओं के मद्देनजर यह आसान नहीं था परंतु चौधरी के दर्जनों राष्ट्रीय वैश्य और व्यवसायिक संगठनों के राष्ट्रीय पदों पर रहने के कारण सभी ने उनका साथ दिया। यही चुनाव के फैसले में निर्णायक भूमिका निभाएं। चौधरी के इन साकारात्मक अभूतपूर्व भूमिका का सबसे बड़ा अंजाम यह हुआ कि इस चुनाव में सदैव राजनीतिक रूप से हाशिये पर रहे वैश्य समाज के 25 प्रत्याशी जीत करके विधानसभा पहुंच गए। किसी जाति विशेष और टिकट के लिहाज से इस चुनाव में वैश्य समाज का जीत का अनुपात सर्वाधिक रहा है। यही बात बिहार सरकार के गठन में उनके ताकत को दर्शाया और साथ ही आने वाले समय में बिहार और देश की राजनीति में एक साकारात्मक बदलाव का संकेत भी है। शायद अब वैश्य और व्यावसायिक समाज के लोगों को हर राजनीतिक दल गंभीरता से लेगी। दबे जुबान ही सही इन बातों की चर्चा सभी राजनीतिक दलों में हो ही रही है। जब सारे एग्जिट पोल बिहार में फेल हो गए, तब भी राजा चौधरी का आकलन बिल्कुल सटीक साबित हुआ। यह उनके राजनीतिक दूरदर्शिता और परिपक्वता को दर्शाता है। सही मायनों में राजा चौधरी का सुपर मास्टर प्लान सुपर मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी बहुप्रतिभाशाली राजनीतिक व्यक्तित्व और परिपक्व दूरदर्शी राजनीतिक सोच का एनडीए किस तरह सदुपयोग करती है। बिहार और देश की जनता को उनकी इन प्रतिभा का कितना फायदा मिलता है।
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