जौनपुर। देश की राजधानी दिल्ली में गत दिवस कार विस्फोट के बाद जहां दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, मथुरा सहित तमाम प्रदेशों एवं जनपदों में हाई एलर्ट हो गया है, वहीं जौनपुर में कुछ और ही नजर आ रहा है। भारत सरकार जहां रेलवे सुरक्षा को लेकर बड़े—बड़े ऐलान करती है, वहीं जौनपुर जंक्शन की रेलवे और राजकीय सुरक्षा बल अपनी निष्क्रियता उजागर कर रही है। भारतीय रेल जो 24 घण्टे अपने कार्यों में तत्पर रहती है, की सुरक्षा में रेलवे सुरक्षा बल और राजकीय रेलवे पुलिस की शिथिलता उनके कार्यों और सक्रियता का पोल खोल रही है। रविवार की तड़के 4.15 बजे दोनों सुरक्षा विभाग अपने कार्यालय में अंधेरा कायम करते हुये नींद के आगोश दिखे जबकि तमाम रेल गाड़ियों का जौनपुर जंक्शन पर आना—जाना हो रहा है। वहीं यात्रियों से स्टेशन प्लेटफार्म भरा हुआ है परन्तु उनकी और रेलवे सुरक्षा प्रहरी जिम्मेदार अपनी नींद की आगोश में डूबे नजर आये। लाइट बन्द मिली जिससे यात्रियों को यह भी जानकारी नहीं हो सकी कि हमारी सुरक्षा के जिम्मेदार स्टेशन पर है अथवा नहीं। इन दोनों विभाग की निष्क्रियता पर बड़े सवाल उठता है कि आखिर रेलवे स्टेशन और प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी? सवाल उठता है कि भारतीय रेल के सुरक्षा प्रहरी कितने जिम्मेदार हैं? सवाल उठता है कि क्या किसी अप्रिय घटना को रोकने में कितने सक्रिय हैं? रेलवे सुरक्षा बल और राजकीय रेलवे पुलिस उदाहरण सामने है।
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