Jaunpur News : ​सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव

जौनपुर। श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय पर आयोजित स्वास्थ्य संगोष्ठी में श्री कृष्णा न्यूरो मेंटल हेल्थ क्लीनिक के जाने-माने न्यूरो मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. हरिनाथ यादव ने सर्दियों के मौसम में स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) के बढ़ते खतरों पर प्रकाश डाला। साथ ही उपस्थित लोगों को बताया कि कैसे तापमान में गिरावट से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ जाती हैं और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है।
स्ट्रोक एक गम्भीर न्यूरोलॉजिकल चुनौती है, के बारे में डॉ. यादव ने स्ट्रोक को विस्तार से समझाते हुए कहा कि "स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है जो तब होती है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से को रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह एक गंभीर चुनौती है, खासकर ठंड के महीनों में।" डॉ. हरिनाथ के अनुसार यह तब होता है जब एक रक्त का थक्का मस्तिष्क की धमनी को अवरुद्ध कर देता है। उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी जीवनशैली की बीमारियां इसके मुख्य कारण हैं।
हेमोरेजिक स्ट्रोक के बारे में उन्होंने कहा कि यह कम आम लेकिन अक्सर अधिक गंभीर होता है। यह तब होता है जब अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है। ठंड के कारण जोखिम में वृद्धि पर कहा कि सर्दियां सीधे तौर पर स्ट्रोक के जोखिम को कैसे बढ़ाती हैं। वैज्ञानिक कारण बताते हुए कहा कि "ठंड के संपर्क में आने पर हमारा शरीर गर्मी बनाए रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है। इस वासोकोन्स्ट्रिक्शन के कारण रक्तचाप तेजी से बढ़ जाता है। बढ़ा हुआ रक्तचाप, रक्त को गाढ़ा करने के साथ मिलकर, थक्के बनने और स्ट्रोक होने की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।"
स्ट्रोक से बचाव के लिये डॉ. हरिनाथ ने श्रोताओं को स्ट्रोक से बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये जिनका पालन विशेष रूप से सर्दियों में करना चाहिये। सभी रोगियों को अपनी रक्तचाप की दवाओं को नियमित रूप से लेने और ठंड के मौसम में अपने बीपी की निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने सलाह दिया कि ठंड के संपर्क को कम करने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें और सुबह बहुत जल्दी घर से बाहर निकलने से बचें, क्योंकि यह वह समय होता है जब शरीर सबसे अधिक असुरक्षित होता है।
सक्रियता बनाये रखने की अपील करते हुये डॉ. हरिनाथ ने कहा कि ठंड के बहाने शारीरिक गतिविधि को बंद न करें। घर के अंदर हल्की कसरत, जैसे योग या चलना, रक्त संचार को बनाए रखने में मदद करता है। धूम्रपान छोड़ना और मधुमेह तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखना स्ट्रोक से बचाव के लिए डॉ. हरिनाथ ने महत्वपूर्ण कदम बताया है। डॉ. यादव ने जागरूकता पर जोर देते हुये कहा कि "स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है लेकिन सतर्कता और सक्रिय जीवनशैली से इसे रोका जा सकता है। लक्षणों (अचानक चेहरे का लटकना, हाथ की कमजोरी, बोलने में कठिनाई) को पहचानें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।"

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