मजमुआ-ए-कलाम ‘हर्फे-आरजू’ के लिये उन्हें मिला यह सम्मान
डा. पीसी विश्वकर्मा, वसीम मछलीशहरी, मोनिश जौनपुरी सहित तमाम लोगों ने दी बधाई
जौनपुर। जनपद ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के अलावा पूरे देश में अपनी शायरी से एक अलग पहचान बनाने वाले मशहूर मारूफ शायर मो. एखलास अहमद ‘इबरत मछलीशहरी’ को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद (गांधीनगर) में सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके मजमुआ-ए-कलाम ‘हर्फे-आरजू’ के लिये दिया गया। सम्मान के रूप में श्री अहमद को प्रमाण पत्र, 11 हजार रूपये नगद सहित अन्य तमाम पुरस्कार दिये गये। इस आशय की जानका
री उनके पुत्र तनवीर आलम ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है। मालूम हो कि श्री अहमद जिला मुख्यालय से इलाहाबाद मार्ग पर लगभग 30 किमी दूर मछलीशहर के निवासी हैं जिनकी शागिर्दगी में तमाम शायर हैं। बता दें कि ‘कुछ लोग बस कुनबे-घराने के लिये होते हैं, और कुछ लोग जमाने के लिये होते हैं’ नामक चर्चित शेर देने वाले ‘इबरत मछलीशहरी’ की भाषा व शैली इतनी सरल है कि हर आम व खास लोगों के समझ में आ जाती है। उनके सम्मान मिलने की जानकारी होने पर हिन्दी-उर्दू के प्रख्यात शायर विधिवेत्ता डा. पीसी विश्वकर्मा प्रेम जौनपुरी, असीम मछलीशहरी, मोनिश जौनपुरी सहित तमाम शायरों, कवियों, शुभचिन्तकों ने इबरत जौनपुरी को बधाई दिया।
री उनके पुत्र तनवीर आलम ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है। मालूम हो कि श्री अहमद जिला मुख्यालय से इलाहाबाद मार्ग पर लगभग 30 किमी दूर मछलीशहर के निवासी हैं जिनकी शागिर्दगी में तमाम शायर हैं। बता दें कि ‘कुछ लोग बस कुनबे-घराने के लिये होते हैं, और कुछ लोग जमाने के लिये होते हैं’ नामक चर्चित शेर देने वाले ‘इबरत मछलीशहरी’ की भाषा व शैली इतनी सरल है कि हर आम व खास लोगों के समझ में आ जाती है। उनके सम्मान मिलने की जानकारी होने पर हिन्दी-उर्दू के प्रख्यात शायर विधिवेत्ता डा. पीसी विश्वकर्मा प्रेम जौनपुरी, असीम मछलीशहरी, मोनिश जौनपुरी सहित तमाम शायरों, कवियों, शुभचिन्तकों ने इबरत जौनपुरी को बधाई दिया।
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