नया सबेरा नेटवर्क
केंद्र सरकार की नौकरी के छलावे में बेरोजगार करते हैं आवेदन
12 हजार रूपये मानदेय पर करना पड़ता है गुज़ारा
हिम्मत बहादुर सिंह/सैयद फ़ैज़ान आब्दी
जौनपुर। मशहूर शायर गुलज़ार की नज़्म कागज की कश्ती की तर्ज़ पर ही ग्रामीण डाक सेवक अपनी सेवाएं देने को मजबूर हैं। क्योंकि बरसाती सीज़न में बच्चों द्वारा बनायी जाने वाली कागज की कश्ती भी हू ब हू सचमुच की कश्ती की तरह ही दिखती है और उसी तरह पानी में तैरती भी है लेकिन सचमुच की कश्तियों की तरह उनका कोई साहिल यानी किनारा नहीं होता है। जिससे वह बारिश के पानी पर इधर उधर भटकती रहती है और आखि़रकार कागज के भीग जाने पर वह उसी पानी के गर्त में कहीं डूब जाती है। कमोबेश यही स्थिति भारत सरकार के अधीन संचालित डाक महकमें में कार्यरत ग्रामीण डाक सेवकों की भी है। जो आकार प्रकार से लेकर कार्य व्यवहार तक हू ब हू सचमुच के सरकारी कर्मचारियों जैसे ही होते हैं लेकिन वास्तव में उनकी स्थिति क्या है यह किसी से छिपा नहीं है। बरसों बरस तक इनकी भर्ती उप मंडल निरीक्षकों और मंडलीय अधीक्षकों के द्वारा की जाती रही लेकिन पिछले कुछ सालों से इनकी भर्ती भी परिमंडल स्तर पर और ऑनलाईन पैटर्न पर होने लगी है और हो भी क्यों न, आखिर ये भी हैं तो सच्ची मुच्ची वाले कर्मचारियों की ही तरह। बहुत से प्रतिभाशाली बेरोजगार इसे केंद्र सरकार की शानदार नौकरी समझ कर आनॅलाइन फार्म भर देते हैं और 90 से 95 प्रतिशत हाई स्कूल में प्राप्त अंक के आधार पर उनका चयन भी हो जाता है। लेकिन नौकरी ज्वाईन करने के बाद उन्हें असलियत का पता चलता है तो कुछ तो ज्वाइन ही नहीं करते और अगर कुछ ज्वाइन भी कर लिये तो साल छह महीने में कहीं अच्छी नौकरी मिलने पर इसे छोड़कर चले जाते हैं। यह सब ठीक उसी तरह से होता है जैसे सेमल के फूल को तोता देखकर उसपर अपनी ठोंड़ मारता है और उसमें से शुष्क रूई निकली देख सिर पीट कर उड़ जाता है। बिल्कुल यही स्थिति मेरिट धारी बेरोजगारों की भी होती है जो केंद्र सरकार की नौकरी के छलावे में आवेदन करते हैं और चुने जाने पर जमीनी हकीकत से रूबरू होने पर मायाजाल से मुक्त हो जाते हैं। यही कारण हैं कि ग्रामीण डाक सेवकों के ये पद खाली के खाली रह जाते हैं। यही वजह है कि मेरिट के आधार पर ऑनलाइन ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती डाक विभाग को मुफीद नहीं आ रही क्योंकि ग्रामीण डाक सेवा की तो मूल प्रवृत्ति ही पार्ट टाईम जॉब जैसी है जिसमें केवल स्थानीय व्यक्ति ही कार्य के लिए सर्वाधिक उपयुक्त साबित हो सकते हैं। जो सुबह शाम अपनी छोटी मोटी दुकान, खेती किसानी संभाल कर इस नौकरी को कायम रख सकें। स्थानीय व्यक्ति यदि ग्रामीण डाक सेवक के पद पर कार्य करता है तो चूंकि उसके पास अपना घर होता है इसलिए उसे किराये का मकान नहीं लेना पड़ता। लेकिन ऑनलाइन भर्ती में तो जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर के लोग भी इन पदों पर ऑनलाइन आवेदन करके नियुक्त हो रहे हैं। जिनका न तो उनका वहां पर खुद का घर होता है और न ही खेती या दुकान जिससे इस पद पर मिलने वाली मामूली सी तनख्वाह में उनका गुज़ारा नहीं हो पाता और साल छह महीने में ही लोग नौकरी छोड़कर चले जाते हैं। कुल मिलाकर ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा बहुत जरूरी है वर्ना ग्रामीण डाक सेवक संवर्ग की रिक्तियां कभी भरी ही नहीं जा सकेंगी।
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3ruFTOU
from NayaSabera.com
0 Comments