नया सबेरा नेटवर्क
विजयदशमी का यह पावन पर्व
कराता है अपनी संस्कृति पर गर्व,
श्री राम के पावन चरणों को नमन
सदा उनको ही भजे मेरा मन ।
आज के दिन उस रावण की मृत्यु
पर हम खुशहाली मनाते है,
जिसके आगे देवता ,दानव अनन्य जातियां नतमस्तक थी,
जिसने कैलाश पर्वत को अपनी भुजा पर धारण कर लिया था ।
रावण ने एक शिक्षा दी थी –"जीत हो या हार"
सहर्ष स्वीकार करना चाहिए ।
रावण द्वारा ही शिव का तांडव स्तोत्र रचा गया है।
रावण को अहंकार और अनीति ने मृत्यु का सेज प्रदान किया ।
सिर्फ पुतले जला देने से रावण का नाम नहीं मिटेगा ,
अगर जलाना है तो मन में जो दुष्ट प्रवृति है उसे जलाओ।
रावण भी देखता होगा तो सोचता होगा की "मैंने एक सीता का हरण किया तो मुझे हर साल जलाते हैं।
" यहां हजारों सीता जैसी नारी से दुष्कर्म करने वाले रिहा हो जाते हैं।
रावण की गलती को ही मत देखो
उसके अंदर के अच्छे गुणों को भी देखो ।
विजयदशमी के पावन पर्व की आप सभी नगर वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।🙏🙏
–रितेश मौर्य
एम. ए. फाइनल,राज कॉलेज
मो. नं. 8576091113
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