नया सबेरा नेटवर्क
बचपन,माँ और झूठ
बचपन में,मैंने देखा है
अपनी आँखों से.....!
माँ को झूठ बोलते हुए
और याद भी हैं,
उसके द्वारा बोले गए
कुछ सफेद झूठ.....!
यह सच है कि मैं
भूखा ही रहा सदा
माँ की नजरों में ...
जरा सा भी रोने पर
माँ सब काम-धाम छोड़कर
भूखा लगता है
कहते हुए भागी चली आती
और ममतामई स्तनपान कराती
इस झूठ का साक्षी...
मैं और केवल मैं ही हूँ...!
मेरी कारस्तानियों और
बदमाश हरकतों पर,
मिलने वाली डाँट से बचाकर
अपने आँचल में छुपा लेती माँ
और पिताजी से
सरासर झूठ बोल देती....
मिट्टी खाकर चौड़े से...!
मुँह खोल कर दिखाते हुए
जब भी मैंने कहा होगा
कि मैंने मिट्टी नहीं खाई माँ
मेरे इस झूठ को भी
हँसकर सच मान लेना भी
झूठ ही तो है....
चुराकर मिठाइयां खाने की
मेरी बुरी आदतों पर पर्दा भी माँ ने
झूठ बोल कर ही डाला
खेलकूद में ज्यादा समय
बीत जाने पर
मिलने वाली सजा से भी
माँ ने ही झूठ बोलकर बचाया
माँ की नजरों में
हमेशा बालक ही रहा...!
अभी कितनी उम्र ही है इसकी...?
माँ का यह कहना
समाज के सामने झूठ ही तो है
इतने सारे झूठ बोलने और
झूठ को सच स्वीकारने वाली
माँ ने बचपन से ही हमें सिखाया
झूठ बोले कौवा काटे और
झूठ बोलना पाप है
मित्रों....! यह सच है कि
मैंने कभी किसी कौवे को
माँ को काटते नहीं देखा और
यह भी नही जानता कि
माँ ने इतने झूठ बोले क्यों...?
पर इतना तो जरूर जानता हूँ कि
माँ के द्वारा बोले गए अथवा
सच स्वीकार किए गए झूठ...!
जिसे हम पाप की संज्ञा दे रहे हैं
इससे बड़ा पुण्य
इस धरा पर नहीं है
इस पुण्य की छाया में ही
संतति परंपरा चिरंतन हो रही है
संतति परंपरा चिरंतन हो रही है
रचनाकार...
जितेन्द्र कुमार दुबे
क्षेत्राधिकारी नगर
जनपद ...जौनपुर
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/2XrbowB
from NayaSabera.com
0 Comments