भारत को तात्कालिक आत्मनिर्भर बनाने अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह कहावतें धरातल पर उतारने उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार में सार्वजनिक निजी भागीदारी ज़रूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में वर्तमान समय में कोविड महामारी के मौजूद रहने के बीच अति सावधानी, प्रोटोकाल का पालन करते हुए और ज़ज़बे जांबाज़ी के साथ दीपावली का पर्व मनाने की तैयारियां, खरेदी, बाजारों ने भीड़ भाड़ देखने को मिल रही है, जिसके लिए भारतीय नागरिक पिछले साल से तरस रहे थे। इस माहौल के बीच आत्मनिर्भर भारत बनाने की भी बार-बार हर मौके पर गूंज होती है। हमारे माननीय पीएम महोदय भी करीब-करीब हर संबोधन में वोकल फॉर लोकल के लिए अपील करते हुए देखे गए हैं। आत्मनिर्भर भारत हो भी क्यों ना!!! यह हमारे हर भारतीय के लिए एक गर्व, सीना चौड़ा करने वाली बात है!!! परंतु साथियों इसको कामयाब बनाने के लिए, भारत में प्रचलित कहावतें है, अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह को वास्तविक धरातल पर लाकर क्रियान्वयन करना होगा!! साथियों बाद अगर हम, एक और एक ग्यारह, कहावत की करें तो हम इसमें उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार को शामिल कर तीनों की ताकत को एक कर उनसे उत्पन्न नए अविष्कारों और नवाचार परिस्थितिकी तंत्र को विकसित और मजबूत करके वैश्विक बाजार पर अपनी मजबूत छाप छोड़ सकते हैं। क्योंकि भारतीयों की बुद्धि कौशलता तो पहले से ही जग प्रसिद्ध, विश्व प्रसिद्ध है!! बस!! ज़रूरत है इन तीनों क्षेत्रों की बुद्धि कौशलता को एक मंच पर आने की!! याने उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार की सार्वजनिक, निजी भागीदारी से हर क्षेत्र में एक साथ काम करना जिसमें तीनों हितधारकों की ज्ञान सुज़न, अविष्कार और नवाचार के माध्यम से देश में सामाजिक, आर्थिक विकास को गति देने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निहत है। साथियों बात अगर हम इस मुद्दे को समझने की करें तो हमें दो-तीन दशक पीछे जाएं तो घरेलू गैस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल, पथ और हवाई परिवहन, बैंकिंग क्षेत्र,शिक्षा क्षेत्र इत्यादि सहितअनेक क्षेत्र सरकारी नियंत्रण में थे!! और हम आज की स्थिति देखें तो सार्वजनिक, निजी भागीदारी में इनकी सेवा की क्वालिटी और प्रौद्योगिकी विस्तार तकनीकी में रात और दिन का फ़रक नजर आता है!! कंपटीशन बढ़ी है जिससे फ़ायदा जनता को काफी हद तक मिला है!! साथियों बात अगर हम वर्तमान डिजिटलाइजेशन युग करें तो हम तेज़ी से आत्मनिर्भर भारत, एक नए भारत को की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें इन ज्ञान सृजन, अविष्कार और नवाचारका अति तात्कालिक महत्व है, जिसे तालमेल से साकार कर नई दिशा देना तीनों महाशक्तियों को मिलकर देना है। साथियों बात अगर हम दिनांक 27 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पीएम कार्यालय राज्य मंत्री के एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने भी इस मुद्दे पर,आज यहां कहा है कि वैज्ञानिक नवाचार में शिक्षा क्षेत्र (अकादमिक) और उद्योग को आवश्यक हितधारक बनाने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नवाचार के तिहरे कुंडली प्रतिदर्श अर्थात ट्रिपल हेलिक्स मॉडल यानी उद्योग,विश्वविद्यालयों और सरकार में तीनों हितधारकों की ज्ञान सृजन, आविष्कार और नवाचार के माध्यम से देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निहित है। उन्होंने कहाकि एक मज़बूत आईपी पोर्टफोलियो के साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित संगठन होने के नाते विश्वविद्यालयों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकता है और इस साझेदारी से न केवल विश्वविद्यालयों और सीएसआईआर को लाभ होगा बल्कि इससे प्रेरित होकर उद्योग नए आविष्कारों और नवाचारों को लाकर विकास को भी गति दे सकेंगे। उन्होंने सीएसआईआर से इनोवेशन पार्क जैसे जुड़ाव के उपयुक्त मॉडल लाने का आह्वान किया,जहां एक ओर यह विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय संस्थानों के उत्कृष्ट मौलिक अनुसंधान का लाभ उठाएगा वहीं, दूसरी ओर यह प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक प्रयोगों और प्रसार में उद्योगों को मजबूत करेगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे अंतः विषयी और परस्पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा जिससे अंततोगत्वा नवाचार के अनुपात को प्रोत्साहन भी मिलेगा उन्होंने कहा, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) के पुन: स्थापन की रिपोर्ट को सार्वजनिक निजी भागीदारियों (पीपीपीज) और नवाचार पार्क तैयार करने के संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे विश्वविद्यालयों सीएसआईआर और उद्योग को एक साथ साझेदारी करने की अनुमति मिलती है। साथ ही इससे भारत को दुनिया में एक अग्रणी वैज्ञानिक शक्ति बनाने के लिए अगले 25 वर्षों में देश के सतत विकास के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकियों को लचीलेपन और चपलता के साथ आगे उपयोग की उस समय अनुमति मिलती है जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा हो। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करेंगे तो हम पाएंगे कि नए अविष्कारों और नवाचार परिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने, उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार को सार्वजनिक, निजी भागीदारी में एक साथ काम करना ज़रूरी है तथा भारत को तात्कालिक आत्मनिर्भर देश बनाने अनेकता में एकता, एक और एक ग्यारह कहावतें धरातल पर उतारने के लिए उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकारों में सार्वजनिक निजी भागीदारी अत्यंत ज़रूरी हैं।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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