नया सबेरा नेटवर्क
सम्मान पाने की जिद थी मेरी
अपमान में वृद्धि हो गई,
ऐसे ही हम बहुत परेशान थे
और मुसीबतों से मुलाकात हो गई।
जब सोचा था हमने की
कुछ कर के दिखाएंगे
उसी समय आर्थिक स्थिति में पड़े
फिर क्या पता था कि कभी निकल ही नहीं पाएंगे ?
चला एक मुश्किल दौर जब अपनो ने साथ छोड़ दिया ,
जो मेरे सुख दुख के साथी थे
उन्होंने भी रिश्ता तोड़ दिया ।
हिम्मत को आज भी हमने दिल में
बसाया हैं
वक्त को बदलने का समय आया हैं,
बहुत गुस्सा आता हैं हमें अपने ऊपर
क्योंकि झूठी मोह माया से फिर उन्होंने हमे फंसाया हैं।
जो हमें बुरा कहते थे
उनके मुंह को हमे बन्द कर दिया
जो आज भी हमें गिराने की कोशिश करते हैं
उनके लिए हमने मौन व्रत ले लिया ।
–रितेश मौर्य
एम. ए. फाइनल,राज कॉलेज
मो. नं. 8576091113
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