नया सबेरा नेटवर्क
आज मैं कपिल शर्मा का एक शो देख रहा था जिसमें अभिनेता गोविंदा अपनी धर्मपत्नी जी के साथ आए हुए थे। कपिल के एक सवाल पर उनकी धर्मपत्नी जी ने कहा गोविंदा जी एक अच्छे पति हैं लेकिन मैं उन्हें अपने बेटे के रूप में चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मुझे उनके जैसा एक बेटा मिले। आगे बोलती है कि मैंने अपनी अभी तक की जिंदगी में ऐसा बेटा नहीं देखा जो मां के लिए इतना समर्पित हो। मां के सामने दुनिया का हर एक सुख, ऐशोआराम इनके लिए बिल्कुल बेकार है।आज भी हर एक जन्मदिन पर मां के पैर धोकर जल को ग्रहण करते हैं। मैं साधुवाद देता हूं, इतने बड़े कलाकार हो कर भी अपनी डूबती हुई संस्कृति को जिंदा करके रखे हुए हैं। वास्तविक तौर पर देखा जाए तो कुछ अच्छे लोगों को छोड़कर ज्यादातर लोग इसका ठीक उल्टा कर रहे है। मेरा ऐसा मानना है कि दुनिया की हर एक चीज चाहे वह कितनी भी अहम क्यों ना हो,मां बाप के सामने,उनके प्यार के सामने फीकी है। आप सोच कर देखिए जिस आराम तलब जिंदगी को हम जी रहे हैं या उपभोग कर रहे हैं वह किसकी वजह से है। अगर आज आपके मां-बाप आपको इस जीवंत धरा पर नहीं लाए होते तो आप इन सारी चीजों का उपयोग नहीं कर रहे होते। एक मां बाप ही होते हैं जो स्वार्थरहित प्रेम करते हैं। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर देते हैं। जब तक बच्चे समर्थ नहीं हो जाते मां बाप हर एक कष्ट उठाते हैं।अपने बच्चों का पेट भरने के लिए हर एक मुश्किल का सामना करते हैं,अपनी जान जोखिम में डालते हैं। बच्चों के बीच पर कभी फर्क नहीं करते,सबको बराबर प्रेम करते हैं। मां बाप के निश्छल प्रेम पर जितना लिखा जाए कम है। उनके द्वारा दिए गए प्रेम को कभी पन्नो पर नहीं दर्शाया जा सकता है। मां बाप के प्रेम को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मां बाप के दर्द को समझते हुए हमेशा उनको सबसे ऊपर रखना चाहिए। हम सब को अपने बचपन को याद करना चाहिए। बचपन में मां बाप ने सब को एक साथ खाना खिलाया, एक साथ सुलाया,एक साथ कपड़े खरीद कर दिए, एक साथ स्कूल भेजा। कभी एक दूसरे पर फर्क नहीं किया,सबको बराबर प्यार दिया। मां बाप की हमेशा कोशिश होती है कि उनके सभी बच्चे खुश रहे और जिंदगी में सफल हो। उनको दुख तब होता है जब हम बड़े होकर आपस में झगड़ते हैं, अपना-अपना देखते हैं, हममें से कोई सफल होता है और कोई असफल होता है। हम सबके बीच में तकरार होना शुरू हो जाती है, उस समय उनका दिल टूट जाता है ऐसी स्थिति में हमें अपने बचपन को याद करना चाहिए, बचपन में बिताए गए पल को याद करने चाहिए, मां के द्वारा दिए गए स्वार्थरहित प्रेम को याद करना चाहिए। अगर हम जिंदगी में सफल हुए तब भी साथ रहे। कोई सफल हुआ है या कोई असफल हुआ तब भी साथ रहें। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं की कोई ऐसोआराम की जिंदगी जिए और कोई जिंदगी के साथ जद्दोजहद करें। हम कम ऐसोआराम करेंगे और उस भाई बहन को भी साथ लेकर चलेंगे ताकि वह भी अपनी जिंदगी जी सके। हम अपने मां बाप को इतना प्यार तो नहीं दे सकते जितना उन्होंने हमें बचपन में दिया है लेकिन उसका कुछ अंश वापस कर सकते हैं। अंत में मैं आप सभी से हाथ जोड़कर यही अनुरोध करूंगा कि सभी साथ रहे,सभी मिलकर एक साथ काम करें। एक दूसरे की मुसीबत पर साथ खड़े हो। यही जिंदगी है और जिंदगी का मकसद भी यही होना चाहिए।
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