नया सबेरा नेटवर्क
ईश्वर जैसा कोई नहीं,
पैदा कभी न होता है।
अपने जैसे न उसे बनाओ,
देखो कभी न सोता है।
ब्रह्मा, विष्णु या खुदा कहो,
वो जर्रे -जर्रे में रहता है।
निराकार परब्रह्म हमारा,
सबसे मोहब्बत करता है।
भूख -प्यास से परे है ईश्वर,
सीमा रेखा मत खींचो।
मजहब की दीवार उठाकर,
खून से धरती मत सींचो।
ईश्वर कोई है वस्तु नहीं,
वह देखो अविनाशी है।
अनंत काल से सारी दुनिया,
ईश्वर दर्शन की प्यासी है।
पा सकते हो उस ईश्वर को,
सरल, सहज बनना होगा।
पीड़ा दो न औरों को तू,
निष्काम डगर चलना होगा।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई,
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