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वर्तमान कृषि, शिक्षण और स्वास्थ्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता से इस्तेमाल, विज़न 2047 संकल्प सिद्धि का मज़बूत आधार सिद्ध होगा - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि शिक्षण, स्वास्थ्य और कृषि सहित अनेक क्षेत्रों में जो ढांचागत विस्तार और बदलाव में प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता से इस्तेमाल कर मज़बूर आधार स्तंभ बनाया जा रहा है, जिसमें हम महसूस कर रहे हैं कि आने वाले स्वर्णिम आजादी समारोह विज़न 2047 के पूर्व ही हम संकल्प सिद्धि टारगेट को पूर्ण करने में कामयाब सिद्ध होंगे।...साथियों बात अगर हम कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों की करें तो ये मानवीय जीवन की प्राथमिकता के मज़बूत आवश्यकता स्तंभों में से महत्वपूर्ण आधार हैं, जिनका प्रौद्योगिकी आधारभूत संरचना का तेज़ी से विकास और विस्तार, भविष्य में आने वाली तकलीफों और परेशानियोंका पूर्वानुमान मानकर सटीकरणनीतिक रोडमैप बना कर तैयार किया जा रहा है। जिसमें शिक्षा नीति 2020, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन 2021 सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित 35 विशेष गुणों वाली फ़सल किस्मों का विकास और नवोन्मेषी खेती के तरीके अपनाने की तकनीकों का विस्तार और क्रियान्वयन जैसे अनेक मुद्दे शामिल हैं।...साथियों बात अगर हम इन क्षेत्रों के ढांचागत विकास की ज़रूरत की करेंतो हमने अभी कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप से पूरे विश्व सहित भारत भी पीड़ित होते देखा और अचानक विपदा आनपड़ी जिसके कारण हमने अपने भारतवंशी परिवारों के लाखों साथी खोए और आर्थिक क्षेत्र सहित हर क्षेत्र की व्यवस्था चरमरा गई। उसके ऊपर भारत में ज़लवायु परिवर्तन की दोहरी मार तूफान, बाढ़ के रूप में पड़ी जिससे भारी नुकसान और जनहानि हुई हालांकि हम विपत्तियों से निकल गए हैं, जैसे कि आज 28 सितंबर 2021 तक 78 करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन लग चुकी है और हमने बहुत बड़ा सबक भी सीख़ा है कि महामारी और जलवायु परिवर्तन के प्रकोप में सुरक्षा के लिए दीर्घकालीन ढांचागत सुधारों को प्रौद्योगिकी से जोड़ कर एक मज़बूत प्रणाली को विकसित किया जाए और कृषि शिक्षण स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों को ऐसा सुदृढ़ बनाया जाए कि इन प्रकोपों से मुकाबला करने में हम सक्षम हो सकें।...साथियों बात अगर हम इसी श्रेणी में कुपोषण जलवायु परिवर्तन से निपटने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित 35 विशेष गुणों वाली फ़सलों के किस्म की करें तो इसमें चावल गेहूं, सोयाबीन, चना, मस्टर्ड सहित कृषि उत्पादों की अनेक फसलें शामिल है, जिसमें खोज कृषि वैज्ञानिकों ने की है। यह बीजों की नई किस्में मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम है और इसमें पोष्टिक तत्व भी अधिक हैं। इनमें चने की सूखे से बचाव वाली किस्म, मुरझाने और बांझपन एवं रोगाणु से होने वाली बीमारी (मोजेक) प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की जैविक मजबूत किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विन्वा, कूटू, विंग्ड बीन और फैबा बीन शामिल हैं। इन विशेष लक्षण वाली फ़सल किस्मों में वे तत्व भी शामिल हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली कुछ फ़सलों में पाए जाने वाले पोषण-विरोधी कारकों को दूर करते हैं। साथियों बात अगर हम दिनांक 28 सितंबर 2021 को माननीय पीएम के वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विशेष गुणों वाली फसलों के 35 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित करने की करें तो पीआईबी के अनुसार,उन्होंने उन किसानों के साथ बातचीत की, जो नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग करते हैं तथा सभा को भी संबोधित किया। पीएम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट,नई बीमारियां,महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फ़सलें भी प्रभावित हो रहीहै।इनपहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे। किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकतबढ़ाएगा। हमारी प्राचीन कृषि परंपराओं के साथ-साथ भविष्य की ओर बढ़ना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी और खेती के नए उपकरण भविष्य की खेती के मूल में हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि मशीनों और उपकरणों को बढ़ावा देने के प्रयासों के आज सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। किसान को सिर्फ फ़सल आधारित इनकम सिस्टम से बाहर निकालकर, उन्हें वैल्यू एडिशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साइंस और रिसर्च के समाधानों से अब मोटे अनाजों सहित अन्य अनाजों को और विकसित करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा इसका मकसद ये है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग ज़रूरतों के हिसाब से इन्हें उगाया जा सके। उन्होंने लोगों से कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आगामी वर्ष को मिलेट वर्ष घोषित किए जाने के फलस्वरूप उपलब्ध होने वाले अवसरों का उपयोग करने के लिए तैयार रहें। जिन विशेष गुणों वाली किस्मों का विमोचन किया गया वे इस प्रकार हैं, धान की 3 बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी किस्में – पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847 और पूसा बासमती 1885 विमोचित की गई | गेहूं 6 किस्में जैसे डीबीडब्ल्यू 332, डीबीडब्ल्यू 327, एचआई 1636, एचयूडब्लयू 838, एमपी (जेडब्लयू) 1358 और एचआई 8123 प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर सहित मक्का की सी.एफ.एम.वी - 1, सी.एफ.एम.वी - 2, 4 फसलों की 11 बायो फोर्टिफाइड किस्में विकसित की गईं हैं। 2 कम अवधि की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मटर और अरहर की दो किस्में आईपीएच 15-3 और आईपीएच 09-5 और कम अवधि की सोयाबीन किस्म एनआरसी 138 यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त भी जारी की गई | सूखा सहिष्णु उच्च उपज रोग प्रतिरोध पूसा चना 4005, बाजरा संकर एचएचबी 67 किस्में ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ कीअवधारणा पर विकसित की गई है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के कुपोषण, जलवायु परिवर्तन की दोहोरी चुनौतियों से निपटने आईसीएआर द्वारा विकसित 35 विशेष गुणों वाली फसल किस्में राष्ट्र को समर्पित करना एक सराहनीय कदम है और वर्तमान कृषि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता से इस्तेमाल करना विज़न 2047 संकल्प सिद्धि का मज़बूत आधार सिद्ध होगा।
संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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