नया सबेरा नेटवर्क
नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित 35 विशेष गुणों वाली फसल किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। इन किस्मों का विकास जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से किया गया है।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रायपुर के बरौंडा स्थित राष्ट्रीय जैविक तनाव सहिष्णुता संस्थान (एनआईबीएसटी) के नए परिसर का उद्घाटन किया तथा 35 फसलों की विशेष गुणों वाली किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सभी संस्थानों, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि विज्ञान केंद्र में किया गया।
प्रधानमंत्री ने नवोन्मेषी खेती के तरीके अपनाने वाले किसानों से भी बातचीत की और चयनित कृषि विश्वविद्यालयों को स्वच्छ हरित परिसर पुरस्कार भी प्रदान किया।
मोदी ने कहा कि देश में बीते छह-सात वर्षों में कृषि के क्षेत्र में जो कार्य हुआ है उसने आने वाले 25 वर्षों के बड़े राष्ट्रीय संकल्प सिद्धि के लिए मजबूत आधार बना दिया है।
उन्होंने कहा कि कृषि और विज्ञान का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है। हमारे देश की आधुनिक सोच वाले किसानों को इसे समर्पित किया जा रहा है।’’
मोदी ने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों के दौरान कृषि से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में अलग-अलग फसलों के 1,300 से अधिक बीजों की किस्में तैयार की गई हैं। आज इसमें 35 और को शामिल किया गया है। यह हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है। बीजों की नयी किस्में मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं और इनमें पौष्टिक तत्व भी अधिक हैं।
इनमें चने की सूखे से बचाव वाली किस्म, मुरझाने और बांझपन एवं रोगाणु से होने वाली बीमारी (मोजेक) प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की जैविक मजबूत किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विन्वा, कूटू, विंग्ड बीन और फैबा बीन शामिल हैं।
इन विशेष लक्षण वाली फसल किस्मों में वे तत्व भी शामिल हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली कुछ फसलों में पाए जाने वाले पोषण-विरोधी कारकों को दूर करते हैं।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज दुनियाभर में चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि मृदा में कॉर्बन घटने की वजह से आज उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन दुनियाभर के लिए चिंता का विषय है। हमारे क्षेत्र में भी इसका प्रभाव दिख रहा है। इसके दो कारण हैं। एक प्राकृतिक है और दूसरा मृदा में कॉर्बन घटना है।’’
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं और प्रधानमंत्री का लक्ष्य इन किसानों की आय बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि किसानों को दूसरों की करुणा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद के बल पर उठना चाहिए। इस उद्देश्य से उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री-किसान जैसी कई योजनाएं और किसान रेल के माध्यम से परिवहन सुविधाएं शुरू की गई हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य, पशु एवं कुक्कुट पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मौजूद थे।
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