दुख और परिश्रम का मानव जीवन में महत्व - दुख बिना हृदय निर्मल नहीं, परिश्रम बिना विकास नहीं | #NayaSaberaNetwork

दुख और परिश्रम का मानव जीवन में महत्व - दुख बिना हृदय निर्मल नहीं, परिश्रम बिना विकास नहीं | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
कठोर परिश्रम सफलता की कुंजी है - जांबाज़ी से दुख का मुकाबला कर सफलता की सीढ़ी पर पहुंचने का ज़जबा जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में हमने आदि काल से ही बड़े बुजुर्गों, ज्ञानियों, विद्वानों से अनेक कहावतें, अल्फाज, तकरीरें, समझाइश इत्यादि से अनेक उनकी पंक्तियां, सुझाव,विचारों को सीधे वार्तालाप या किताबों में दर्ज अमूल्य पंक्तियों के माध्यम से पढ़े सुने होंगे कि, जिंदगी कबड्डी के खेल समान है, सफलता की लाइन टच करते ही लोग टांग खींचने लगते हैं, सुख दुख जीवन के दो पहिए हैं जिसमें जिंदगी की गाड़ी चलती है, दुख बिना हृदय निर्मल नहीं परिश्रम बिना विकास नहीं, संवाद ही समस्या का समाधान है, इत्यादि इन पंक्तियों को हमने कई बार सुने होंगे। परंतु हम इन्हें मात्र पंक्तियों या जुमले तक ही सीमित रखते हैं। इन्हें अपने जीवन में ढालने की या उनके उपयोग की कोशिश बहुत कम मानवीय सोच में बदलते हैं। वर्तमान आधुनिक जीवन में तो वर्तमान पीढ़ी की सोच बिना परिश्रम की ओर बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं हम अपने आसपास में, समाज, शहर, राष्ट्र में ऐसी सोच देखते हैं कि हर व्यक्ति सुख और बैठे-बिठाए सबकुछ पाने की चाहना में मस्त रहता है। जबकि दुखों से मुकाबला करने और परिश्रम के प्रति सकारात्मक सोच को अधिक महत्व देना आज की परिस्थितियों और माहौल के हिसाब से अधिक उचित है।...साथियों बात अगर हम वर्तमान आधुनिक परिस्थितियों के अनुसार परिश्रम की करें तो अब गए वह दिन जो पहले परिश्रम केवल शारीरिक परिश्रम होता था अब, जमाना बदल गया है, शारीरिक व मानसीक रूप से कियागया काम परिश्रम कहलाता है। ये काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते है, जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है, पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था, जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजिनियर, वकील राजनैतिज्ञ, अभिनेता - अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है। कामयाब व्यक्ति के जीवन से हम परिश्रम के बारे में अधिक जान सकते है, उनके जीवन से हमें इसकी सही परिभाषा समझ आती है, जो मेहनती व्यक्ति श्रम को अपने जीवन में अपनाता है और सफलता का स्वाद चखता है। यही बातें/आदर्श हम अपने जीवन में उतार कर सफल हो सकते है। परिश्रम के बिना कोई भी कर्म सफल नही हो सकता। किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए परिश्रम तो करना ही पड़ता है। परिश्रम बाद ही परिणाम पता चलता है कि, परिश्रम कितना किया गया है। उसके अनुसार ही कर्म सामने आता है। वार्ना शेख चिल्ली की तरह सिर्फ ख्याली पुलाव ही पकाए जा सकते हैं। अर्थात,परिश्रम मनुष्य की जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिस पर ही मनुष्य की जिंदगी का पहिया आगे बढ़ता है, अगर मनुष्य मेहनत करना छोड़ देता है तो उसका विकास रुक जाता है, अर्थात उसकी जिंदगी नर्क के सामान हो जाती है, क्योंकि परिश्रम से ही मनुष्य अपने जिंदगी के लिए ज़रूरी सभी कामों को कर पाता है। परिश्रम से बदलो अपना भाग्य, भाग्य के भरोसे कभी मत रहो,जो लोग परिश्रम नहीं करते और सफलता नहीं प्राप्त होने पर अपने भाग्य को कोसते रहते हैं, ऐसे लोग हमेशा ही दुखी रहते हैं और अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हैं। क्योंकि भाग्य की वजह से मनुष्य को सफलता तो मिल सकती है, लेकिन यह स्थाई नहीं होती, जबकि परिश्रम कर हासिल की गई सफलता स्थाई होती है और मेहनत के बाद सफलता हासिल करने की ख़ुशी और इसका महत्व भी अलग होता है। परिश्रम के बिना भाग्य सिद्ध नहीं होता है, इसको संस्कृत के कई श्लोकों द्धारा बखूबी से समझाया गया है।...साथियों बात अगर हम जीवन में दुख के महत्त्व की करें तो हमारे आध्यात्मिक व पौराणिक साहित्य में भी आया है कि दुख ही सुखों की प्रथम पीढ़ी व दुखों से मुकाबला करने पर ही हम सुखों की प्राप्ति होती है इसीलिए सुखों की चाहत रखने वालों को हमेशा कठोर सफलता और सुख पाने के लिए जांबाज़ी से दुखों का मुकाबला कर सुखों को का रास्ता तलाशने की है सकारात्मकता से आगे बढ़ना होगा। उपरोक्त पूरे विवरण से हमें ये सीख मिलती हैं कि हम सभी को अपने जिंदगी में परिश्रम और सुख दुख कर्म के महत्व को समझना चाहिए, क्योंकि कर्म करके ही हम अपने जीवन में सुखी रह सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। वहीं ईमानदार, परिश्रमी व्यक्ति ही न सिर्फ अपने कर्म से अपने भाग्य को बदल लेता है और सफलता हासिल करता है बल्कि वह अपने परिवार, देश के विकास की उन्नति में भी सहायता करता है। अर्थात, दुख और परिश्रम मनुष्य की जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिस पर ही मनुष्य की जिंदगी का पहिया आगे बढ़ता है, अगर मनुष्य मेहनत करना छोड़ देता है और सुखों को भोगने में ही मस्त रहता है तो उसका विकास रुक जाता है, अर्थात उसकी जिंदगी नर्क के सामान हो जाती है, क्योंकि परिश्रम और दुखों के आधार पर सीखने से ही मनुष्य अपने जिंदगी के लिए जरूरी सभी कामों को कर पाता है। क्योंकि शास्त्रों में भी आया है कि
अलसस्य कुतो विद्या,अविद्यस्य कुतो धनम्। 
अधनस्य कुतो मित्रं,अमित्रस्य कुतः सुखम् –योगवासिष्ठ
अर्थात अगर आलस्यरूपी अनर्थ न होता तो इस संसार में कोई भी व्यक्ति अमीर और विद्धान नहीं होता, क्योंकि आलस्य की वजह से ही यह दुनिया गरीब, निर्धन और अज्ञानी पुरुषों से भरी हुई है। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, दुख और परिश्रम का मानव जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। दुख बिना हृदय निर्मल नहीं और परिश्रम बिना विकास नहीं हो सकता। कठोर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जांबाज़ी से दुखों का मुकाबला कर सफलता की सीढ़ी पर पहुंचने का ज़जबा हर इंसान के लिए बहुत ही जरूरी है और वर्तमान आधुनिक जीवन में तो हम सभको इस ओर विशेष ध्यान देने और इस संबंध में जन जागरण अभियान और जन जागृति लाने की बहुत ज़रूरत है।
संकलनकर्ता लेखक-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

*Ad : ADMISSION OPEN - SESSION 2021-2022 : SURYABALI SINGH PUBLIC Sr. Sec. SCHOOL | Classes : Nursery To 9th & 11th | Science Commerce Humanities | MIYANPUR, KUTCHERY, JAUNPUR | Mob.: 9565444457, 9565444458 | Founder Manager Prof. S.P. Singh | Ex. Head of department physics and computer science T.D. College, Jaunpur*
Ad


*Ad : Admission Open - SESSION 2021-2022 : Nehru Balodyan Sr. Secondary School | Kanhaipur, Jaunpur | Contact: 9415234111, 9415349820, 94500889210*
Ad



*Ad : Admission Open - SESSION 2021-2022 : UMANATH SINGH HIGHER SECONDARY SCHOOL SHANKARGANJ (MAHARUPUR), FARIDPUR, MAHARUPUR, JAUNPUR - 222180 MO. 9415234208, 9839155647, 9648531617*
Ad



from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3gsadDr


from NayaSabera.com

Post a Comment

0 Comments