नया सबेरा नेटवर्क
तेरी आँखों के काजल में दिन कटते रहेंगे,
जीवन की बगिया में,वो फूल खिलते रहेंगे।
दो पल के जीवन को जियेंगे सदी के जैसे,
दुःख- सुख के झूले में नभ को छूते रहेंगे।
बँधी है प्यार की डोर में देखो सारी दुनिया,
सागर को दरिया कहो,दरिया कहते रहेंगे।
जो नूर है तेरी आँखों में, पढ़ लिया पिया,
सावन की बदली बनके सदा बरसते रहेंगे।
क्या हुआ जो राहें जीवन की टेढ़ी-मेढ़ी हैं,
प्यार के इस झरने में बस ऐसे बहते रहेंगे।
गुजर जाएगी ज़िन्दगी मुट्ठीभर आसमां से,
हम तन्हाई को शहनाई में बदलते रहेंगे।
संसार न कभी रुका है औ न कभी झुकेगा,
लोग कुदरत की बाँहों में सिमटते रहेंगे।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
from NayaSabera.com
0 Comments