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भारत के भविष्य के प्रतिनिधि हैं बच्चे - कोविड-19 से अनाथ बच्चों के माता-पिता का रोल केंद्र और राज्य सरकारों को निभाना जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक महामारी कोविड -19 ने वैश्विक स्तरपर ऐसी भयानक त्रासदी दीहै कि उनकी उपस्थिति का एहसास सालों तक नहीं मिटाया जा सकता। परंतु हिम्मत, जज़्बा और सावधानी रखकर जांबाज़ी से इसको हराकर जीरो किया जा सकता है और वैश्विक स्तरपर भी जांबाज़ी से इस महामारी से महायुद्ध लड़ कर इसे जमीदारोंज करने में कुछ देश सफल भी हुए हैं।..बात अगर हम भारत की करें तो जांबाज़ी, हिम्मत और जज़्बे से इस मुसीबत से मुकाबला कर इसे हराना तो भारतीय नागरिकों के ख़ून में ही समाया हुआ है और हम आज कोविड-19 महामारी को हराने की ओर तेज़ी से सफलता के कदम बढ़ा दिए हैं। जिसका सबूत 29 मई 2021 को पिछले 46 दिन से सबसे कम केस आए हैं और कोरोना को मात देने का आंकड़ा कहीं अधिक आया है। अनेक राज्यों ने 1 जून से कोरोना को डाउनकर तेजी से अनलॉक की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी रणनीतिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। परंतु हम नागरिकों को इस रणनीति में शासन-प्रशासन का साथ देकर अपने और उनके विश्वास को कायम रखना है और शासकीय दिशानिर्देशों को पालन करना है जो राज्य सरकारों ने जारी किए है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी दिशानिर्देशों का 30 जून तक बढ़ा दिया है।....बात अगर हम भारत में कोरोना महामारी द्वारा त्रासदी और जनहानि की करें तो बड़े दुर्भाग्यपूर्ण और दुखी मनसे कहना पड़ रहा है कि हमारे अनेक भारतीय परिवारों ने अपने करीबियों को खोया है। इस दुख की घड़ी में अकल्पनीय स्थिति तब पैदा हुई जब हमारे अनेक मासूम बच्चे अनाथ हो गए। उनके माता पिता और परिवारवालों को निर्दई कोरोना महामारी बड़ी निर्दयता से निगल गई और बेसहारा इन बच्चों को छोड़ गई। जिसके कारण इन मासूम बच्चों के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उनके भविष्य को लेकर निर्माण हुई है। भारत की संस्कृति ही दयावान और दुख दर्द बांटने पर आधारित है और भारत की मिट्टी के कण कण में सहयोग,सद्भावना दयादृष्टि,समाई हुई है। अतः अनेक गैर सरकारी संगठन, सेवाभावी समाज, एनजीओस, राज्य सरकारें और अभी दिनांक 29 मई 2021 को केंद्र सरकार भी आगे आई है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार इन बच्चों के भविष्य की योजना,पीएम चिल्ड्रंस केयर योजना, पीएम केयर्स फंड के माध्यम से लाई गई है। ऐसा ऐलान किया गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता या अभिभावक की कोरोना वायरस के चलते जान चली गई है उन्हें 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन फंड' के तहत सहायता दी जाएगी। इसके अंतर्गत इन्हें 18 साल तक की आयु का होने के बाद मासिक स्टाइपेंड दिया जाएगा इसके साथ ही उन्हें 23 साल का हो जाने के बाद 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। कोविड से जान गंवाने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन लेने में सहायता दी जाएगी और ऋण के ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स के जरिए किया जाएगा। इसी तरह 10 साल से कम उम्र के बच्चों को नजदीकी केंद्रीय विद्यालय में दाखिला मिलेगा। अगर प्राइवेट स्कूल में बच्चे का दाखिला होगा तो पीएम केयर्स से फीस दी जाएगी।पीएम केयर्स से बच्चे के यूनिफॉर्म,कापी और किताब भी खरीदी जाएगी। 11 से 18 साल के विद्यार्थियों को केंद्र सरकार के अधीन संचालित सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में दाखिला मिलेगा। उच्च शिक्षाके लिए ऐसे बच्चों को ब्याज मुक्त लोन मिलेगा। लोन पर ब्याज की अदायगी पीएम केयर फंड से होगी। कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। 18 वर्ष तक होने तक पीएम केयर फंड से बीमा की किश्त भरी जाएगी।...। बात अगर न्यायपालिका की करें तो, सुप्रीम कोर्ट ने ने शुक्रवार 28 मई 2021 को को कहा कि वह इसकी कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड-19 महामारी के कारण इतने बड़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए और इसी के साथ उसने राज्य प्राधिकारियों को उनकी तत्काल पहचान करने तथा उन्हें राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार से सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए कहा और जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालतों के किसी भी अगले आदेश का इंतजार किए बिना फौरन उनकी देखभाल की जाए। माननीय दो जजों की अवकाश कालीन बेंच ने जिला प्रशासन को शनिवार शाम तक अनाथ बच्चों की पहचान करने और उनकी जानकारियां राष्ट्रीय बाल अपराध संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए।...बात अगर हम राज्यों की करें तो उत्तर प्रदेश,दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने भी अनाथ बच्चों की मदद के लिए बाल सेवा योजनाएं लागू की है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के अनुसार, जिसमें उत्तर प्रदेश ने अनाथ बच्चों कीदेखभाल के लिए उनके गार्डियन/केयर टेकर को राज्य सरकार की तरफ से 4 हज़ार रुपये प्रति माह प्रति बच्चे की दर से आर्थिक मदद दी जाएगी। 10 साल से कम उम्र के बच्चों, जिनका परिवार नहीं बचा, उन्हें राज्य सरकार या केंद्रसरकार की मदद से राजकीय बाल गृह (शिशु) में रखा जाएगा। राज्य में अभी पांच जगह- मथुरा लखनऊ प्रयागराज,आगरा और रामपुर में राजकीय बाल गृह(शिशु)का संचालन किया जा रहा है अवयस्क बच्चियों की देखभाल और पढ़ाई भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कस्तूरबा गांधी विद्यालय, या राज्य सरकार के राजकीय बाल गृह, या स्थापित किए जा रहे 18 अटल आवासीय विद्यालयों में रखकर कराई जाएगी। यूपी सरकार ने बताया कि लड़कियों की शादी के लिए एक लाख एक हजार की राशि उपलब्ध कराएगी। स्कूल या कॉलेज में पढ़रहे या व्यावसायिक शिक्षा ले रहे सभी बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप दिया जाएगा।... बात अगर हरियाणा सरकार के योजना की करें तो जो बच्चे परिवारों में रहेंगे, उन्हें 18 वर्ष तक 2,500 रुपए प्रति माह दिए जाएंगे और पढ़ाई समेत अन्य खर्चों के लिए 12, हज़ार रुपए हर साल दिए जाएंगे। जो बच्चे बाल देखभाल संस्थान में रहेंगे, उन बच्चों को बाल देखभाल संस्थान पालेंगी। 18 वर्ष तक इनके नाम से 1,500 रुपए प्रतिवर्ष जमा कराए जाएंगे।जब ये बच्चे 21 साल के हो जाएंगे तो ये जमा राशि इन्हें दे दी जाएगी।कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बच्चियों को 12वीं तक की शिक्षा मुफ्त दी जाएगी। इनके बैंक अकाउंट में 51,हज़ार रुपये जमा कराए जाएंगे और ब्याज के साथ ये धनराशि इनकी शादी के समय इन्हें दी जाएगी....बात अगर कर्नाटक सरकार की करें तो कर्नाटक बाल सेवा योजना के तहत, गार्डियन/केयरटेक को पैतीस सव रुपये प्रतिमाह की आर्थिक मदद दी जाएगी। जिन बच्चों ने अपने गार्डियन खो दिए हैं, उन्हें सरकारी संस्थानों में रखा जाएगा। अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए उन्हें मॉडल रेसिडेंशियल स्कूलों में भर्ती कराया जाएगा। 10वीं की पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए फ्री लैपटॉप/टैबलेट दिया जाएगा। 21 साल पूरा होने पर,सभी लड़कियों को शादी,हायर एजुकेशन के लिए 1 लाख की धनराशि दी जाएगी।बच्चों के विकास के लिए, सभी को काउंसलिंग दी जाएगी उपरोक्त पूरी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दी गई है।अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर आम विश्लेषण करें तो हम देखेंगे के केंद्र और राज्य सरकारों गैर सरकारी संगठन, एनजीओ तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा अनाथ बच्चों के संबंध में राहत योजनाएं व सेवाएं की जा रही है जो तारीफ ए काबिल है हमारे भारत की मिट्टी के कण कण में व संस्कारों में दया दृष्टि भरी है जिस से प्रेरित होकर दुखी यारों की सहायता करने हर भारतीय दौड़ पड़ता है।
-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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